ग्रामीण उत्तर प्रदेश में जाति पदानुक्रम तथा शक्ति संरचना किस प्रकार संसाधनों तथा अवसरों तक पहुँच को प्रभावित करते हैं ? विवेचना कीजिए । (200 Words) [UPPSC 2023]
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ग्रामीण उत्तर प्रदेश में जाति पदानुक्रम और शक्ति संरचना का संसाधनों और अवसरों पर प्रभाव
1. जाति पदानुक्रम: ग्रामीण उत्तर प्रदेश में जाति पदानुक्रम गहराई से जड़े हुए हैं, जो संसाधनों और अवसरों तक पहुँच को प्रभावित करते हैं। उच्च जातियों, जैसे ब्राह्मण और ठाकुर, अक्सर भूमि स्वामित्व और सरकारी नौकरियों पर नियंत्रण रखते हैं। इसके विपरीत, नीचली जातियाँ जैसे दलित और आदिवासी आमतौर पर भूमिहीन होती हैं और उनके पास सीमित संसाधन होते हैं। उदाहरण के लिए, मैनपुरी जिले में कई दलित परिवारों को भूमि सुधार योजनाओं का लाभ नहीं मिलता, जो कि उच्च जातियों के दबदबे के कारण होता है।
2. शक्ति संरचना: स्थानीय शक्ति संरचनाएँ, जो अक्सर उच्च जातियों द्वारा नियंत्रित होती हैं, सरकारी योजनाओं और सर्विसेस के वितरण में पक्षपाती हो सकती हैं। जैसे, प्रधान और ग्राम सचिव अक्सर योजनाओं का लाभ उच्च जाति के लोगों को अधिक प्राथमिकता देते हैं, जिससे नीचली जातियों के लोगों को सार्वजनिक सेवाओं और सुबिधाओं तक पहुँच में बाधाएँ आती हैं।
3. सामाजिक बहिष्कार: जातिगत भेदभाव और सामाजिक पदानुक्रम सामाजिक और आर्थिक बहिष्कार को जन्म देते हैं। जैसे कि निःशुल्क स्कूलों और स्वास्थ्य सुविधाओं में भी जातिगत भेदभाव देखा जाता है, जिससे नीचली जातियों के बच्चों और परिवारों को शिक्षा और स्वास्थ्य में पर्याप्त अवसर नहीं मिलते।
4. सरकारी प्रयास और चुनौतियाँ: सरकार ने आरक्षण और भूमि सुधार जैसी योजनाओं के माध्यम से जातिगत भेदभाव को कम करने की कोशिश की है, लेकिन प्रवर्तन की कमी और स्थानीय प्रतिरोध इन पहलों की प्रभावशीलता को सीमित करते हैं।
सारांश में, ग्रामीण उत्तर प्रदेश में जाति पदानुक्रम और शक्ति संरचनाएँ संसाधनों और अवसरों की पहुँच को प्रभावित करती हैं, जिससे उच्च जातियों को अधिक लाभ और नीचली जातियों को निरंतर भेदभाव का सामना करना पड़ता है।