अपने और दूसरों के संवेगों को समझना मानय जीवन में सफलता के लिए बहुत महत्वपूर्ण है। आनंद, दुख, भय, पृष्णा और ईर्ष्या सार्वभौमिक संवेग हैं। ये संवेग स्प्रेषण, स्वास्थ्य, कल्याण और सम्बन्धों के लिए सार्थक होते हैं। प्रभावी सांवेगिक कौशल में अपने और दूसरों के संवेगों की उपयुक्त समझ और उसका प्रबंधन शामिल होता है। उदाहरणार्थ, अन्तर्वैयक्तिक सम्बन्धों में क्रोध की प्रायः अभिव्यक्ति दूसरों में भय और असुरक्षा उत्पन्न कर सकती है। परिणास्वरूप, यह अन्र्तवैयक्तिक और सामाजिक सम्बन्धों को कमजोर कर सकती है। लम्बे समय तक प्रतिबल में चने रहेंगे तो शारीरिक और मानसिक स्वास्थ्य के लिए समस्या उत्पन्न होगा। इस प्रकार व्यक्तिगत, अन्तर्वेदक्तिक और सामाजिक सम्बन्धों की सफलता और संप्राप्ति के लिए यह अपेक्षित है कि व्यक्ति सांवेगिक कौशलों को विकसित करे। संचेगों की बेहतर समझ का प्रत्यक्ष निहितार्थ मानव जीवन के विभिन्न संकेतकों में सफलता, निष्पादन और उत्पादकता के लिए हो सकता है।
a. सांवेगिक कौशल क्यों महत्वपूर्ण होते हैं?
b. किस प्रकार संवेग, लोगों के जीवन परिणामों को निर्मित करते हैं?
c. सांवेगिक बुद्धि के प्रमुख तत्वों का उल्लेख कीजिए।
d. सांवेगिक बुद्धि के उन्नयन के लिए सुझाव दीजिए।
e. सांवेगिक कौशल, प्रशासनिक कार्यों के लिए किस प्रकार उपयोगी है?
a. सांवेगिक कौशल क्यों महत्वपूर्ण होते हैं?
सांवेगिक कौशल व्यक्ति के जीवन के विभिन्न पहलुओं में अत्यंत महत्वपूर्ण होते हैं:
b. किस प्रकार संवेग, लोगों के जीवन परिणामों को निर्मित करते हैं?
संवेग लोगों के जीवन परिणामों को विभिन्न तरीकों से प्रभावित करते हैं:
c. सांवेगिक बुद्धि के प्रमुख तत्वों का उल्लेख कीजिए।
d. सांवेगिक बुद्धि के उन्नयन के लिए सुझाव दीजिए।
e. सांवेगिक कौशल, प्रशासनिक कार्यों के लिए किस प्रकार उपयोगी है?