प्रश्न का उत्तर अधिकतम 15 से 20 शब्दों में दीजिए। यह प्रश्न 03 अंक का है। [MPPSC 2023]
रक्षा अनुसंधान एवं विकास संगठन (डी० आर० डी० ओ०) का उद्देश्य क्या है?
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रक्षा अनुसंधान एवं विकास संगठन (डी० आर० डी० ओ०) का उद्देश्य
रक्षा अनुसंधान एवं विकास संगठन (DRDO) का मुख्य उद्देश्य भारत की रक्षा प्रणालियों में आत्मनिर्भरता प्राप्त करना और भारतीय सशस्त्र बलों की आवश्यकता के अनुसार रक्षा प्रौद्योगिकियों का विकास करना है। DRDO की स्थापना 1958 में की गई थी और तब से यह भारत की रक्षा क्षमताओं को मज़बूत बनाने के लिए महत्वपूर्ण भूमिका निभा रहा है। इसके माध्यम से, भारत उन्नत सैन्य तकनीकों के विकास और स्वदेशी रक्षा उत्पादों के निर्माण में आत्मनिर्भर बन रहा है।
मुख्य उद्देश्य:
DRDO का मुख्य लक्ष्य स्वदेशी तकनीकों का विकास कर विदेशी आयातों पर निर्भरता को कम करना है। यह भारत सरकार की “आत्मनिर्भर भारत” पहल के साथ जुड़ा हुआ है, जो घरेलू उत्पादन और अनुसंधान को प्राथमिकता देता है। उदाहरण के लिए, हल्का लड़ाकू विमान (LCA) तेजस DRDO की स्वदेशी रक्षा विकास की सफलता का प्रतीक है।
DRDO के द्वारा विकसित की गई अत्याधुनिक प्रौद्योगिकियां भारत की राष्ट्रीय सुरक्षा को मज़बूती प्रदान करती हैं। हाल ही में, अग्नि-V इंटरकॉन्टिनेंटल बैलिस्टिक मिसाइल (ICBM) का सफल परीक्षण, जिसकी रेंज 5,000 किलोमीटर से अधिक है, भारत की रक्षा क्षमता और रणनीतिक प्रभाव को बढ़ाने वाला एक महत्वपूर्ण कदम है।
DRDO मिसाइल, रडार, विमानों, इलेक्ट्रॉनिक युद्ध प्रणालियों, और रक्षा में आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस जैसी प्रौद्योगिकियों का विकास करता है। 2023 में, DRDO ने हाइपरसोनिक टेक्नोलॉजी डेमोंस्ट्रेटर व्हीकल (HSTDV) का सफल परीक्षण किया, जिससे भारत हाइपरसोनिक हथियार विकसित करने में सक्षम देशों की सूची में शामिल हो गया है।
DRDO भारतीय सेना, नौसेना, और वायुसेना को नवीनतम तकनीकों से लैस करता है। उदाहरण के लिए, हाल ही में DRDO द्वारा विकसित एडवांस टोव्ड आर्टिलरी गन सिस्टम (ATAGS) को भारतीय सेना में शामिल किया गया, जो पूरी तरह से स्वदेशी तोपखाने प्रणाली है और सेना की मारक क्षमता को बढ़ाता है।
DRDO उद्योगों और शैक्षणिक संस्थानों के साथ सहयोग करता है ताकि अनुसंधान और नवाचार को बढ़ावा दिया जा सके। 2023 में शुरू की गई डिफेंस इंडिया स्टार्टअप चैलेंज (DISC) एक महत्वपूर्ण पहल है जिसके अंतर्गत DRDO ने स्टार्टअप्स के साथ साझेदारी की और नई रक्षा तकनीकों के विकास को प्रोत्साहित किया।
DRDO अंतर्राष्ट्रीय साझेदारियों के माध्यम से तकनीकी हस्तांतरण और सह-विकास पर भी ध्यान देता है। इसका हालिया उदाहरण ब्रह्मोस मिसाइल का रूस के साथ संयुक्त विकास है, जो भारत की रक्षा निर्यात क्षमताओं को भी बढ़ाता है।
निष्कर्ष
DRDO का उद्देश्य कई आयामों में फैला हुआ है: रक्षा तकनीकों में आत्मनिर्भरता प्राप्त करना, राष्ट्रीय सुरक्षा को सुदृढ़ बनाना, और सशस्त्र बलों की क्षमताओं को उन्नत करना। नवाचार, अंतर्राष्ट्रीय सहयोग, और उद्योगों के साथ साझेदारी के माध्यम से, DRDO भारत की रक्षा क्षमताओं को वैश्विक स्तर पर उभारने का कार्य कर रहा है। हाल के महत्वपूर्ण तकनीकी विकास जैसे INS अरिहंत (परमाणु पनडुब्बी) और अस्त्र मिसाइल प्रणाली इसके उदाहरण हैं।
ये प्रयास भारत की व्यापक भू-राजनीतिक महत्वाकांक्षाओं और आत्मनिर्भर भारत जैसी नीतियों के अनुरूप हैं।