रामेश्वर ने गौरवशाली सिविल सेवा परीक्षा को सफलतापूर्वक पास कर लिया और वह ऐसे सुअवसर से अभिभूत था जो सिविल सेवा के माध्यम से देश की सेवा करने के लिए उसको मिलने वाला था। परन्तु, सेवा का कार्यग्रहण करने के शीघ्र बाद उसने महसूस किया कि वस्तुस्थिति उतनी सुन्दर नहीं है जितनी उसने कल्पना की थी। उसने अपने विभाग में व्याप्त अनेक अनाचार पाए। उदाहरण के रूप में, विभिन्न योजनाओं और अनुदानों के अधीन निधियाँ दुर्विनियोजित की जा रही थीं। सरकारी सुविधाओं का अक्सर अधिकारियों और स्टाफ द्वारा व्यक्तिगत आवश्यकताओं के लिए इस्तेमाल किया जा रहा था। कुछ समय के बाद उसने यह भी देखा कि स्टाफ को भर्ती करने की प्रक्रिया भी दोषपूर्ण थी। भावी उम्मीदवारों को एक परीक्षा लिखनी होती थी जिसमें काफ़ी नक़लबाज़ी चलती थी। कुछ उम्मीदवारों को परीक्षा में बाह्य सहायता भी प्रदान की जाती थी। रामेश्वर ऐसी घटनाओं को अपने वरिष्ठों की नज़र में लाया। परन्तु, इस पर उसको अपनी आँखें, कान और मुख बंद रखने और इन सभी चीजों को नज़रअंदाज़ करने की सलाह दी गई। यह बताया गया कि सब उच्चतर अधिकारियों की मिलीभगत से चल रहा था। इससे रामेश्वर का भ्रम टूटा और वह व्याकुल रहने लगा। बह सलाह के लिए आपके पास आता है। ऐसे विभिन्न विकल्प सुझाइए, जो आपके विचार में, ऐसी परिस्थिति में रामेश्वर के लिए उपलब्ध हैं। इन विकल्पों का मूल्यांकन करने और सर्वाधिक उचित रास्ता अपनाने में आप उसकी किस प्रकार सहायता करेंगे? (250 words)[UPSC 2014]
जब एक नव-सेवा में नियुक्त अधिकारी को भ्रष्टाचार और अनाचार का सामना करना पड़ता है, तो यह एक महत्वपूर्ण नैतिक संकट पैदा करता है। रामेश्वर की स्थिति में, यह आवश्यक है कि उचित निर्णय लिया जाए जो न केवल उसकी व्यक्तिगत अखंडता को बनाए रखे, बल्कि विभाग की व्यवस्था में सुधार भी सुनिश्चित करे।
विकल्पों का मूल्यांकन
सर्वोत्तम विकल्प
भ्रष्टाचार की रिपोर्टिंग और ईमानदारी से सुधार के प्रयास सबसे उपयुक्त विकल्प हैं। रामेश्वर को:
इस दृष्टिकोण की अच्छाइयाँ
निष्कर्ष
रामेश्वर को नैतिकता और सुधारात्मक उपायों पर ध्यान केंद्रित करते हुए, भ्रष्टाचार की रिपोर्टिंग और आंतरिक सुधार का प्रयास करना चाहिए। यह उसे व्यक्तिगत और पेशेवर दोनों दृष्टिकोण से स्थिरता और सम्मान प्रदान करेगा।