मान लीजिए कि आप ऐसी कम्पनी के मुख्य कार्यकारी अधिकारी (सी० ई० ओ०) हैं, जो एक सरकारी विभाग के द्वारा • प्रयुक्त विशेषीकृत इलेक्ट्रॉनिक उपकरण बनाती है। आपने विभाग को उपस्कर की पूर्ति के लिए अपनी बोली पेश कर दी है। आपके ऑफर की गुणता और लागत दोनों आपके प्रतिस्पर्धियों से बेहतर हैं। इस पर भी सम्बन्धित अधिकारी टेंडर पास करने के लिए मोटी रिश्वत की माँग कर रहा है। ऑर्डर की प्राप्ति आपके और आपकी कम्पनी, दोनों के लिए महत्त्वपूर्ण है। ऑर्डर न मिलने का अर्थ होगा उत्पादन रेखा का बन्द कर देना। यह आपके स्वयं के कैरियर को भी प्रभावित कर सकता है। फिर भी, मूल्य-सचेत व्यक्ति के रूप में आप रिश्वत देना नहीं चाहते हैं। रिश्वत देने और ऑर्डर प्राप्त कर लेने, तथा रिश्वत देने से इनकार करने और ऑर्डर को हाथ से निकल जाने-दोनों के लिए वैध तर्क दिए जा सकते हैं। ये तर्क क्या हो सकते हैं? क्या इस धर्मसंकट से बाहर निकलने का कोई बेहतर रास्ता हो सकता है? यदि हाँ, तो इस तीसरे रास्ते की अच्छाइयों की ओर इंगित करते हुए उसकी रूपरेखा प्रस्तुत कीजिए। (250 words)[UPSC 2014]
जब एक CEO के रूप में रिश्वत देने की मांग का सामना किया जाए, तो यह एक गंभीर नैतिक और व्यावसायिक दुविधा होती है। इस स्थिति में, रिश्वत देने और न देने के दोनों ही विकल्पों के तर्कों पर ध्यान देना महत्वपूर्ण है।
रिश्वत देने के तर्क
रिश्वत न देने के तर्क
तीसरा विकल्प: वैध और पारदर्शी समाधान
1. मामला दर्ज करें:
2. आंतरिक सुधार प्रस्तावित करें:
3. मीडिया और सार्वजनिक दबाव:
इस दृष्टिकोण की अच्छाइयाँ
निष्कर्ष
रिश्वत देने के विकल्प से बचना और वैध और पारदर्शी तरीके से समस्या का समाधान करना सबसे अच्छा मार्ग है। यह कानूनी सुरक्षा प्रदान करता है, नैतिक मानदंडों को बनाए रखता है, और कंपनी की दीर्घकालिक प्रतिष्ठा को मजबूत करता है।