निशांत सामाजिक रूप से संवेदनशील, समाजवादी विचार के बुद्धिजीवी एवं प्रोफेसर हैं। वे अपने लेखों, भाषणों और मीडिया के माध्यम से मजदूरों, अल्पसंख्यकों, दलितों, महिलाओं एवं जनजातियों के स्वर को मुखरित करते हैं। एक पार्टी भी उन्हें अपने थिंक टैंक में रखे हुये है। इसी क्रम में वे आह्वान करते है कि सम्म्राट जनों, प्रबुद्धों, राजनीतिज्ञों एवं अधिकारियों को अपने बच्चों को सरकारी स्कूलों में प्रवेश दिलाना चाहिये। प्रवेश के महीनों में अभिजात्य स्कूलों के मापदण्डों पर बहस होती है और उसकी शिक्षा के हित में आलोचना भी होती है, जिसमें निशांत भी सम्मिलित रहते हैं; किन्तु पता चलता है कि वे स्वयं अपने बच्चे को एक अभिजात्य स्कूल में प्रवेश दिलाने हेतु प्रयासरत हैं। अतः उनके इस कृत्य को आलोचना भी होती है। कहा जाता है कि वे ‘करते कुछ है और कहते कुछ है।’
अतः प्रश्न है: (200 Words) [UPPSC 2018]
a. क्या निशांत को भी अपने बच्चे को सरकारी स्कूल में प्रवेश दिला देना चाहिये?
b. क्या निशांत को बौद्धिक विमर्श त्याग देना चाहिये?
c. क्या उन्हें अपने पार्टी के लोगों को अपने समर्थन में खड़ा करना चाहिये?
d. या अपने बच्चे का प्रवेश अभिजात्य स्कूल में करा देना चाहिये। विवेचना कीजिये।
निशांत की स्थिति पर विवेचना
a. क्या निशांत को भी अपने बच्चे को सरकारी स्कूल में प्रवेश दिला देना चाहिए?
विवेचना: निशांत की आलोचना उनके खुद के बच्चों को अभिजात्य स्कूल में भेजने के लिए की जा रही है जबकि वे सरकारी स्कूलों की वकालत करते हैं। यदि वे सरकारी स्कूलों की गुणवत्ता में सुधार की बात कर रहे हैं, तो अपने बच्चे को वहां भेजना उनके आदर्शों के प्रति सच्चाई दिखाएगा। हालांकि, यह निर्णय उनके व्यक्तिगत और पेशेवर जीवन की परिस्थितियों पर निर्भर करता है। यदि सरकारी स्कूलों की गुणवत्ता उनकी अपेक्षाओं के अनुसार नहीं है, तो यह उनकी और उनके परिवार की शिक्षा संबंधी प्राथमिकताओं पर निर्भर करता है।
b. क्या निशांत को बौद्धिक विमर्श त्याग देना चाहिए?
विवेचना: बौद्धिक विमर्श महत्वपूर्ण है क्योंकि यह समाज में सोच और बदलाव की दिशा तय करता है। निशांत का बौद्धिक विमर्श समाज की समस्याओं को उजागर करता है और नीति निर्धारण में योगदान करता है। व्यक्तिगत असंगतताओं के बावजूद, विमर्श जारी रखना समाज में सुधार और प्रगति की दिशा में महत्वपूर्ण है। वे अपने विचारों को चुनौती देने और सुधार की दिशा में काम करते रहें, भले ही उनकी व्यक्तिगत जीवन शैली पर सवाल उठते हों।
c. क्या निशांत को अपने पार्टी के लोगों को अपने समर्थन में खड़ा करना चाहिए?
विवेचना: यदि निशांत का पार्टी में प्रभाव है, तो उन्हें अपनी सोच और नीतियों के अनुसार पार्टी को मार्गदर्शन देना चाहिए। यह उनके विचारों को सामूहिक कार्रवाई में बदलने में मदद कर सकता है। पार्टी के लोगों को जागरूक करना और उन्हें अपनी विचारधारा का समर्थन करने के लिए प्रेरित करना महत्वपूर्ण हो सकता है। इससे उनकी नीतियों की प्रभावशीलता और स्वीकार्यता बढ़ेगी।
d. या अपने बच्चे का प्रवेश अभिजात्य स्कूल में करा देना चाहिए?
विवेचना: निशांत को यह निर्णय व्यक्तिगत और पारिवारिक दृष्टिकोण से लेना चाहिए। यदि वे मानते हैं कि अभिजात्य स्कूल का वातावरण उनके बच्चे की शिक्षा के लिए अनुकूल है, तो यह उनके परिवार के हित में हो सकता है। हालांकि, यह सुनिश्चित करना भी आवश्यक है कि उनकी सार्वजनिक भूमिका और निजी निर्णय में एकता बनी रहे। यदि वे अभिजात्य स्कूल में प्रवेश की प्रक्रिया को सही मानते हैं, तो इसे खुलकर स्वीकार करना चाहिए और अपनी विचारधारा में सुसंगतता बनाए रखनी चाहिए।
निष्कर्ष
निशांत को अपनी व्यक्तिगत प्राथमिकताओं और सार्वजनिक विचारधारा के बीच संतुलन बनाना चाहिए। बौद्धिक विमर्श और पार्टी समर्थन महत्वपूर्ण हैं, परंतु व्यक्तिगत निर्णयों में पारदर्शिता और सामंजस्य भी आवश्यक है।