“केवल कानून का अनुपालन ही काफ़ी नहीं है, लोक सेवक में, अपने कर्तव्यों के प्रभावी पालन करने के लिए, नैतिक मुद्दों पर एक सुविकसित संवेदन-शक्ति का होना भी आवश्यक है।” क्या आप सहमत हैं? दो उदाहरणों की सहायता से स्पष्ट कीजिए, जहाँ (ⅰ) कृत्य नैतिकतः सही है, परंतु वैध रूप से सही नहीं है तथा (ii) कृत्य वैध रूप से सही है, परंतु नैतिकतः सही नहीं है। (150 words) [UPSC 2015]
नैतिकता और कानून का अनुपालन
सहमत हूँ, क्योंकि लोक सेवकों को केवल कानून का अनुपालन करने के अलावा, नैतिक संवेदनशीलता भी बनाए रखनी चाहिए।
(i) कृत्य नैतिकतः सही परंतु वैध रूप से सही नहीं: उदाहरण: फरवरी 2023 में एक सरकारी अधिकारी ने एक गरीब व्यक्ति की सहायता करने के लिए सरकारी नियमों के खिलाफ जाकर व्यक्तिगत रूप से आर्थिक सहायता प्रदान की। यह कृत्य नैतिक दृष्टि से सही था, क्योंकि इससे जरूरतमंद की मदद हुई, लेकिन यह कानून की दृष्टि से गलत था, क्योंकि सरकारी फंड का उपयोग नियमों के अनुसार नहीं किया गया।
(ii) कृत्य वैध रूप से सही परंतु नैतिकतः सही नहीं: उदाहरण: 2024 में एक कंपनी ने स्थानीय निवासियों की भलाई के लिए एक प्रोजेक्ट का रजिस्ट्रेशन किया, लेकिन इसके लिए उन्होंने आवश्यक पर्यावरणीय अनुमति नहीं ली। यहाँ कंपनी ने सभी कानूनी प्रक्रियाओं का पालन किया, लेकिन इसने पर्यावरण पर प्रतिकूल प्रभाव डाला, जो नैतिक दृष्टि से गलत था।
इन उदाहरणों से स्पष्ट होता है कि नैतिकता और कानून का अनुपालन दोनों ही महत्वपूर्ण हैं।