मैक्स वैबर ने कहा था कि जिस प्रकार के नैतिक प्रतिमानों को हम व्यक्तिगत अंतरात्मा के मामलों पर लागू करते हैं, उस प्रकार के नैतिक प्रतिमानों को लोक प्रशासन पर लागू करना समझदारी नहीं है। इस बात को समझ लेना महत्त्वपूर्ण है कि हो सकता है कि राज्य के अधिकारीतंत्र के पास अपनी स्वयं की स्वतंत्र अधिकारीतंत्रीय नैतिकता हो।” इस कथन का समालोचनापूर्वक विश्लेषण कीजिए । (150 words) [UPSC 2016]
मैक्स वैबर के कथन का समालोचनात्मक विश्लेषण
1. व्यक्तिगत और अधिकारीतंत्रीय नैतिकता का अंतर
व्यक्तिगत नैतिकता बनाम अधिकारीतंत्रीय नैतिकता: मैक्स वैबर ने कहा कि व्यक्तिगत नैतिक मानदंडों को लोक प्रशासन में लागू करना उपयुक्त नहीं है। अधिकारीतंत्र का अपना स्वतंत्र नैतिक ढांचा होता है, जो दक्षता और नियमों की पालना पर केंद्रित होता है। उदाहरण के लिए, सरकारी नियमों और प्रक्रियाओं की पालन में व्यक्तिगत नैतिक विचारों का समावेश मुश्किल हो सकता है।
2. दक्षता की प्राथमिकता
प्रशासनिक दक्षता पर जोर: अधिकारीतंत्र का उद्देश्य नियमों और प्रक्रियाओं के अनुसार काम करना है, जिससे संस्थागत दक्षता सुनिश्चित होती है। उदाहरण के लिए, जाँच और फाइल की प्रक्रिया में पूरी पारदर्शिता और समयबद्धता की आवश्यकता होती है, जो व्यक्तिगत नैतिकता से भिन्न हो सकती है।
3. वास्तविकता में लागू समस्याएँ
नैतिक दुविधाएँ और भ्रष्टाचार: कई बार, प्रशासनिक नियम व्यक्तिगत नैतिक मानदंडों के खिलाफ हो सकते हैं, जिससे नैतिक दुविधाएँ उत्पन्न होती हैं। हाल में भ्रष्टाचार और अनियमितता की घटनाएँ दर्शाती हैं कि अधिकारीतंत्र की नैतिकता के कारण प्रशासनिक प्रक्रियाएँ व्यक्तिगत नैतिकता से मेल नहीं खातीं।
4. नैतिकता और प्रशासन में संतुलन
नैतिक सुधार और पारदर्शिता: हालांकि अधिकारीतंत्रीय नैतिकता पर जोर दिया जाता है, नैतिकता को प्रशासनिक ढाँचे में एकीकृत करना भी महत्वपूर्ण है। पारदर्शिता और जवाबदेही जैसे सुधार उपाय इस संतुलन को बनाए रखने में मदद करते हैं।
निष्कर्ष
वैबर का कथन यह दर्शाता है कि अधिकारीतंत्र की नैतिकता व्यक्तिगत नैतिक मानदंडों से अलग होती है, जो दक्षता और नियमों की पालना पर आधारित होती है। हालांकि, व्यक्तिगत नैतिकता और प्रशासनिक नैतिकता के बीच संतुलन बनाए रखना भी महत्वपूर्ण है ताकि लोक प्रशासन समाज की नैतिक अपेक्षाओं के अनुरूप कार्य कर सके।