सामान्यतः साझा किए गए तथा व्यापक रूप से मोर्चाबंद नैतिक मूल्यों और दायित्वों के बिना न तो क़ानून, न तो लोकतंत्रीय सरकार, न ही बाज़ार अर्थव्यवस्था ठीक से कार्य कर पाएँगे । इस कथन से आप क्या समझते हैं ? समकालीन समय के उदाहरण द्वारा समझाइए । (150 words) [UPSC 2017]
साझा नैतिक मूल्यों की आवश्यकता और प्रभाव
कथन यह बताता है कि साझा किए गए और वाइडली एंटरैंच्ड नैतिक मूल्यों के बिना, क़ानून, लोकतंत्रीय सरकार, और बाज़ार अर्थव्यवस्था ठीक से कार्य नहीं कर सकतीं। इन मानकों का अभाव इन प्रणालियों की प्रभावशीलता को प्रभावित करता है।
क़ानून: क़ानूनी प्रणाली सार्वजनिक विश्वास और नैतिक अनुपालन पर निर्भर करती है। हाल ही में सत्याम कंप्यूटर घोटाले ने दिखाया कि नैतिक मूल्यों की कमी से क़ानूनी ढांचे की प्रभावशीलता प्रभावित होती है और सार्वजनिक विश्वास में कमी आती है।
लोकतंत्र: लोकतंत्र सार्वजनिक भागीदारी और लोकतांत्रिक मानदंडों का सम्मान चाहता है। अमेरिका में कैपिटल हिल दंगे ने दर्शाया कि साझा लोकतांत्रिक मूल्यों की कमी से लोकतांत्रिक प्रक्रियाओं की स्थिरता खतरे में पड़ सकती है।
बाज़ार अर्थव्यवस्था: बाज़ार अर्थव्यवस्था विश्वास और ईमानदारी पर निर्भर करती है। फॉल्क्सवैगन उत्सर्जन घोटाला ने यह स्पष्ट किया कि नैतिकता की कमी से उपभोक्ता विश्वास और वित्तीय स्थिति पर गंभीर प्रभाव पड़ सकते हैं।
इस प्रकार, साझा नैतिक मूल्य क़ानून, लोकतंत्र, और बाज़ार अर्थव्यवस्था की सही और प्रभावी कार्यप्रणाली के लिए आवश्यक हैं।