“बड़ी महत्त्वाकांक्षा महान चरित्र का भावावेश (जुनून) है। जो इससे संपन्न हैं वे या तो बहुत अच्छे अथवा बहुत बुरे कार्य कर सकते हैं। ये सब कुछ उन सिद्धांतों पर आधारित है जिनसे वे निर्देशित होते हैं।” – नेपोलियन बोनापार्ट । उदाहरण देते हुए उन शासकों का उल्लेख कीजिए जिन्होंने (i) समाज व देश का अहित किया है, (ii) समाज व देश के विकास के लिए कार्य किया है। (150 words) [UPSC 2017]
महत्त्वाकांक्षा और इसके प्रभाव
नेपोलियन बोनापार्ट का यह कथन दर्शाता है कि बड़ी महत्त्वाकांक्षा महान चरित्र का एक महत्वपूर्ण हिस्सा होती है, लेकिन इसका प्रभाव इस बात पर निर्भर करता है कि इसे कौन से सिद्धांत निर्देशित करते हैं।
समाज और देश का अहित करने वाले शासक:
अधोल्फ हिटलर की महत्त्वाकांक्षा ने नाजी जर्मनी को अत्यधिक विस्तारवादी और जातिवादी नीतियों की ओर प्रेरित किया। इसके परिणामस्वरूप द्वितीय विश्व युद्ध और होलोकॉस्ट हुए, जिससे करोड़ों लोगों की जानें गईं और पूरी दुनिया में विनाशकारी प्रभाव पड़ा।
किम जोंग उन, उत्तर कोरिया के वर्तमान शासक, की महत्त्वाकांक्षा ने देश को अत्यधिक दमनकारी शासन के तहत रखा है। उनकी नीतियों ने लाखों लोगों को भुखमरी और मानवाधिकार उल्लंघन का सामना कराया।
समाज और देश के विकास के लिए कार्य करने वाले शासक:
महींद्रा गांधी की महत्त्वाकांक्षा ने भारत को स्वतंत्रता दिलाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। उन्होंने अहिंसा और सत्याग्रह के सिद्धांतों के आधार पर भारतीय समाज में सामाजिक न्याय और आर्थिक आत्मनिर्भरता को बढ़ावा दिया।
नैस्लोन मंडेला की महत्त्वाकांक्षा ने दक्षिण अफ्रीका को अपार्थेड के बाद एक नई दिशा दी। उनकी समावेशिता और सुलह की नीतियों ने देश को लोकतंत्र और सामाजिक समानता की ओर अग्रसर किया।
ये उदाहरण दर्शाते हैं कि महत्त्वाकांक्षा का प्रभाव तब सकारात्मक या नकारात्मक होता है जब इसे किसी विशिष्ट नैतिक या सिद्धांतिक ढांचे से निर्देशित किया जाता है।