एडवर्ड स्नोडन, एक कंप्यूटर विशेषज्ञ तथा सी.आई.ए. के पूर्व व्यवस्था प्रशासक, ने सरकार के निगरानी कार्यक्रमों के अस्तित्व के बारे में गोपनीय सरकारी दस्तावेज़ों का खुलासा प्रेस को कर दिया । अनेक विधि विशेषज्ञों और अमेरिकी सरकार के अनुसार, उसके इस कार्य से गुप्तचर्या अधिनियम 1917 का उल्लंघन हुआ है, जिसके अंतर्गत राज्य गुप्त बातों का सार्वजनीकरण राजद्रोह माना जाता है। इसके बावजूद कि स्नोडन ने कानून तोड़ा था, उसने तर्क दिया कि ऐसा करना उसका एक नैतिक दायित्व था । उसने अपने “जानकारी सार्वजनिक करने को (व्हिसल ब्लोइंग)” यह कह कर उचित ठहराया कि “जनता को यह सूचना देना कि उसके नाम पर क्या किया जाता है और उसके विरुद्ध क्या किया जाता है”, बताना उसका कर्तव्य है। स्नोडन के अनुसार, सरकार द्वारा निजता के उल्लंघन को वैधानिकता की परवाह किए बिना उसको उजागर करना चाहिए क्योंकि इसमें सामाजिक क्रिया तथा सार्वजनिक नैतिकता के अधिक महत्त्वपूर्ण मुद्दे शामिल हैं। अनेक व्यक्ति स्नोडन से सहमत थे। केवल कुछ ने यह तर्क दिए कि स्नोडन ने कानून तोड़ा है और राष्ट्रीय सुरक्षा के साथ समझौता किया है, जिसके लिए उसे जवाबदेह ठहराया जाना चाहिए । क्या आप इससे सहमत हैं कि स्नोडन का कार्य कानूनी रूप से प्रतिबंधित होते हुए भी नैतिकता की दृष्टि से उचित था ? क्यों या क्यों नहीं? इस विषय में परस्पर स्पर्धी मूल्यों को तोलते हुए अपना तर्क दीजिए । (250 words) [UPSC 2018]
स्नोडन का कार्य: कानूनी बनाम नैतिक दृष्टिकोण
एडवर्ड स्नोडन ने अमेरिकी सरकार के निगरानी कार्यक्रमों की जानकारी सार्वजनिक की, जो गोपनीयता के उल्लंघन के आरोपों का सामना कर रहा है। इस संदर्भ में, दो प्रमुख दृष्टिकोण हैं: कानूनी और नैतिक।
कानूनी दृष्टिकोण:
नैतिक दृष्टिकोण:
परस्पर स्पर्धी मूल्य:
निष्कर्ष
नैतिकता की दृष्टि से उचित: स्नोडन का कार्य कानूनी दृष्टिकोण से प्रतिबंधित था, लेकिन नैतिक दृष्टिकोण से इसे उचित माना जा सकता है। उनका तर्क है कि समाज की पारदर्शिता और सार्वजनिक भलाई के लिए निगरानी कार्यक्रमों का खुलासा करना आवश्यक था। हालांकि, इस मुद्दे पर न्याय और कानूनी दायित्व को भी ध्यान में रखना जरूरी है, जिससे संतुलित दृष्टिकोण अपनाया जा सके।