भारत में हाल के समय में बढ़ती चिंता रही है कि प्रभावी सिविल सेवा नैतिकता, आचरण संहिताओं, पारदर्शिता उपायों, नैतिक एवं शुचिता व्यवस्थाओं तथा भ्रष्टाचार निरोधी अभिकरणों को विकसित किया जा सके। इस परिप्रेक्ष में, तीन विशिष्ट क्षेत्रों पर ध्यान देने की आवश्यकता को महसूस किया जा रहा है जो सिविल सेवाओं में शुचिता और नैतिकता को आत्मसात् करने हेतु प्रत्यक्ष रूप से प्रासंगिक हैं। ये क्षेत्र निम्नलिखित हैं: 1. सिविल सेवाओं में, नैतिक मानकों और ईमानदारी के विशिष्ट खतरों का पूर्वानुमान करना, 2. सिविल सेवकों की नैतिक सक्षमता को सशक्त करना और 3. सिविल सेवाओं में नैतिक मूल्यों और ईमानदारी की अभिवृद्धि के लिए, प्रशासनिक प्रक्रियाओं एवं प्रथाओं का विकास करना । उपरोक्त तीन मुद्दों का हल निकालने के लिए संस्थागत उपाय सुझाइए । (250 words) [UPSC 2019]
सिविल सेवाओं में शुचिता और नैतिकता को बढ़ाने के लिए संस्थागत उपाय
सिविल सेवाओं में नैतिकता और ईमानदारी को सशक्त बनाने के लिए निम्नलिखित तीन विशिष्ट क्षेत्रों में संस्थागत उपाय किए जा सकते हैं:
1. नैतिक मानकों और ईमानदारी के विशिष्ट खतरों का पूर्वानुमान करना
नैतिकता निगरानी प्रकोष्ठ की स्थापना: प्रत्येक सरकारी विभाग में एक नैतिकता निगरानी प्रकोष्ठ स्थापित करें, जो नैतिक खतरों की पहचान और उनके पूर्वानुमान के लिए जिम्मेदार हो। यह प्रकोष्ठ सतत निगरानी और डाटा विश्लेषण के माध्यम से संभावित समस्याओं की पहचान कर सकेगा। उदाहरण के लिए, सेंट्रल विजिलेंस कमीशन (CVC) इस दिशा में काम कर रहा है, लेकिन इसे और मजबूत किया जा सकता है।
नैतिक जोखिम आकलन: नैतिक जोखिम आकलन को नियमित रूप से लागू करें, जिससे विभिन्न विभागों में संभावित खतरों की पहचान की जा सके। यह आकलन स्वतंत्र आडिटर्स द्वारा किए जाने चाहिए ताकि निष्पक्षता बनी रहे।
2. सिविल सेवकों की नैतिक सक्षमता को सशक्त करना
अनिवार्य नैतिकता प्रशिक्षण: अनिवार्य नैतिकता प्रशिक्षण कार्यक्रम विकसित करें जो सिविल सेवकों को वास्तविक परिदृश्यों और केस स्टडीज़ के माध्यम से नैतिक निर्णय लेने की क्षमता प्रदान करें। यह प्रशिक्षण लाल बहादुर शास्त्री राष्ट्रीय प्रशासन अकादमी (LBSNAA) जैसे संस्थानों में नियमित रूप से होना चाहिए।
मेंटोरशिप और काउंसलिंग सेवाएँ: मेंटोरशिप और काउंसलिंग सेवाएँ प्रदान करें ताकि सिविल सेवकों को नैतिक निर्णय लेने में मार्गदर्शन मिल सके और व्यक्तिगत समस्याओं के समाधान की सहायता प्राप्त हो सके।
3. प्रशासनिक प्रक्रियाओं और प्रथाओं का विकास
पारदर्शी प्रशासनिक प्रक्रियाएँ: पारदर्शी प्रशासनिक प्रक्रियाएँ अपनाएँ, जिसमें सभी निर्णय और क्रियावली सार्वजनिक रूप से उपलब्ध हो। इसमें संपत्तियों की सार्वजनिक घोषणा और प्रशासनिक कार्यों का विस्तृत रिपोर्टिंग शामिल होनी चाहिए। RTI (Right to Information) अधिनियम को इस दिशा में और प्रभावी रूप से लागू किया जा सकता है।
विस्थापन सुरक्षा तंत्र: विस्थापन सुरक्षा तंत्र लागू करें ताकि भ्रष्टाचार की रिपोर्टिंग में कोई डर न हो। इसमें गुमनाम रिपोर्टिंग और कानूनी सुरक्षा प्रदान की जानी चाहिए।
नैतिकता संस्कृति का प्रोत्साहन: नेतृत्व को नैतिकता का उदाहरण प्रस्तुत करने और जनता की जवाबदेही को बढ़ावा देने के लिए प्रोत्साहित करें। आचरण समिति जैसी पहल इस दिशा में महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकती है।
हालिया उदाहरण: “स्वच्छता अभियान” और “ई-गवर्नेंस” पहल ने सार्वजनिक प्रशासन में पारदर्शिता और प्रभावशीलता को बढ़ाने में मदद की है। इनसे प्राप्त अनुभव और दृष्टिकोण अन्य क्षेत्रों में भी लागू किए जा सकते हैं।
निष्कर्ष: इन उपायों को लागू करके सिविल सेवाओं में नैतिकता और ईमानदारी को बढ़ावा दिया जा सकता है, जिससे प्रशासन की प्रभावशीलता और जनता का विश्वास बढ़ेगा।