बड़ी संख्या में महिला कर्मचारियों वाली एक परिधान उत्पादक कंपनी के अनेक कारणों से विक्रय में गिरावट आ रही थी। कंपनी ने एक प्रतिष्ठित विपणन अधिकारी को नियुक्त किया, जिसने अल्पावधि में ही विक्रय की मात्रा को बढ़ा दिया। लेकिन उस अधिकारी के विरूद्ध कार्यस्थल पर यौन उत्पीड़न में लिप्त होने की कुछ अपुष्ट शिकायतें सामने आईं । कुछ समय पश्चात् एक महिला कर्मचारी ने कंपनी के प्रबंधन की विपणन अधिकारी के विरूद्ध यौन उत्पीड़न की औपचारिक शिकायत दायर की। अपनी शिकायत के प्रति कंपनी की संज्ञान लेने में उदासीनता को देखते हुए, महिला कर्मी ने पुलिस में प्राथमिकी दर्ज की। परिस्थिति की संवेदनशीलता और गंभीरता को भांपते हुए, कंपनी ने महिलाकर्मी को वार्ता करने के लिए बुलाया। कंपनी ने महिलाकर्मी को एक मोटी रकम देने के एवज में अपनी शिकायत और प्राथमिकी वापस लेने तथा यह लिख कर देने के लिए कहा कि विपणन अधिकारी प्रकरण में लिप्त नहीं था। इस प्रकरण में निहित नैतिक मुद्दों की पहचान कीजिए। महिलाकर्मी के सामने कौन-कौनसे विकल्प उपलब्ध हैं ? (250 words) [UPSC 2019]
नैतिक मुद्दे
1. यौन उत्पीड़न और दुराचार: इस प्रकरण का सबसे महत्वपूर्ण नैतिक मुद्दा यौन उत्पीड़न है। विपणन अधिकारी द्वारा यौन उत्पीड़न के आरोप गंभीर हैं और यह कर्मचारियों के सुरक्षा और सम्मान के मूल अधिकारों का उल्लंघन है। यह न केवल कानूनी बल्कि नैतिक रूप से भी अस्वीकार्य है।
2. कंपनी की उदासीनता और दमनकारी प्रयास: कंपनी द्वारा शुरू में शिकायत की अनदेखी और बाद में महिला कर्मचारी को भ्रष्टाचार के माध्यम से चुप कराने का प्रयास नैतिक रूप से अनुचित है। महिला को मोटे पैसे की पेशकश करके उसे अपनी शिकायत और प्राथमिकी वापस लेने के लिए मजबूर करना एक प्रकार का दबाव और अधिकारों का उल्लंघन है।
3. आस्थावान और न्यायिक प्रक्रिया की अनदेखी: कंपनी की कोशिशों से स्पष्ट है कि वे न्यायिक प्रक्रिया को प्रभावित करना चाहती हैं और आरोपी के खिलाफ उचित जांच और दंड से बचना चाहती हैं। यह न्याय और पारदर्शिता के सिद्धांतों के खिलाफ है।
महिलाकर्मी के सामने उपलब्ध विकल्प
1. कानूनी कार्रवाई जारी रखना: महिला कर्मचारी अपने शिकायत को कानूनी रूप से आगे बढ़ा सकती है और एफआईआर को आगे बढ़ा सकती है। वकील की सहायता प्राप्त करके वह न्यायिक प्रक्रिया के माध्यम से अपने मामले की गंभीरता को साबित कर सकती है।
2. आंतरिक शिकायत तंत्र में शिकायत दर्ज कराना: महिला कर्मचारी कंपनी के आंतरिक शिकायत समिति (आईसीसी) या लैंगिक उत्पीड़न की शिकायत के निवारण के लिए समितियों में शिकायत दर्ज कर सकती है। यह सुनिश्चित कर सकता है कि मामले की निष्पक्ष जांच हो और आरोपी को दंडित किया जाए।
3. मीडिया और सार्वजनिक ध्यान: यदि कंपनी मामले की गंभीरता को नजरअंदाज करती है, तो महिला कर्मचारी मीडिया या जनअधिकार संगठन के माध्यम से सार्वजनिक ध्यान आकर्षित कर सकती है। इससे कंपनी पर दबाव बनेगा और इस मुद्दे की सही जांच हो सकेगी।
4. मनोवैज्ञानिक सहायता: यौन उत्पीड़न और उसके बाद के तनाव से निपटने के लिए महिला कर्मचारी मनोवैज्ञानिक सहायता प्राप्त कर सकती है। इससे वह मानसिक रूप से मजबूत रह सकेगी और कानूनी प्रक्रिया का सामना कर सकेगी।
निष्कर्ष
इस प्रकरण में नैतिकता और न्याय की रक्षा करना अत्यंत महत्वपूर्ण है। महिला कर्मचारी को अपने अधिकारों की रक्षा करने के लिए उपरोक्त विकल्पों का उपयोग करना चाहिए और यथासंभव नैतिक और कानूनी समर्थन प्राप्त करना चाहिए।