“जहाँ हृदय में शुचिता है, वहाँ चरित्र में सुन्दरता है। जब चरित्र में सौन्दर्य है, तब घर में समरसता है। जब घर में समरसता है, तब राष्ट्र में सुव्यवस्था है। जब राष्ट्र में सुव्यवस्था है, तब विश्व में शांति है।” – ए. पी. जे. अब्दुल कलाम (150 words) [UPSC 2019]
हृदय की शुचिता और इसके प्रभाव
हृदय में शुचिता:
हृदय में शुचिता, यानी नैतिकता और ईमानदारी, एक व्यक्ति के चरित्र को सशक्त बनाती है। मालाला यूसुफज़ई की शिक्षा और महिला सशक्तिकरण के प्रति प्रतिबद्धता, उनके शुद्ध हृदय की पुष्टि करती है, जिसने उन्हें वैश्विक स्तर पर आदर्श बना दिया है।
चरित्र में सौंदर्य:
जब चरित्र में सौंदर्य होता है, तो व्यक्ति ईमानदारी, सहानुभूति, और समर्पण दिखाता है। गौरव गुप्ता, एक भारतीय उद्यमी, ने अपने व्यवसाय में ईमानदारी और सामाजिक जिम्मेदारी को महत्व दिया, जिससे उन्होंने अपने क्षेत्र में सकारात्मक प्रभाव डाला।
घर में समरसता:
एक सुंदर चरित्र के कारण घर में समरसता और सहयोग होता है। नैस्लोन मंडेला ने अपने परिवार और समाज में समरसता को बढ़ावा दिया, जिससे दक्षिण अफ्रीका में सामाजिक और पारिवारिक रिश्तों में सुधार हुआ।
राष्ट्र में सुव्यवस्था:
घर में समरसता के परिणामस्वरूप, राष्ट्र में सुव्यवस्था और स्थिरता आती है। भूटान का ग्रोस नेशनल हैप्पीनेस मॉडल, जो सामाजिक समरसता और शांति को बढ़ावा देता है, इसके उदाहरण हैं।
विश्व में शांति:
जब राष्ट्र में सुव्यवस्था होती है, तो वैश्विक स्तर पर शांति और सहयोग संभव होता है। पेरिस जलवायु समझौता जैसे अंतरराष्ट्रीय प्रयास, जो वैश्विक पर्यावरणीय समस्याओं का समाधान खोजते हैं, इस सुव्यवस्था की पुष्टि करते हैं।
यह कड़ी प्रक्रिया हृदय की शुचिता से लेकर वैश्विक शांति तक एक नैतिक और व्यवस्थित समाज के निर्माण को दर्शाती है।