‘शक्ति की इच्छा विद्यमान है, लेकिन विवेकशीलता और नैतिक कर्त्तव्य के सिद्धांतों से उसे साधित और निर्देशित किया जा सकता है।’ अंतर्राष्ट्रीय सम्बन्धों के संदर्भ में इस कथन का परीक्षण कीजिए । (150 words) [UPSC 2020]
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शक्ति की इच्छा और विवेकशीलता तथा नैतिक कर्तव्य के सिद्धांत
**1. शक्ति की इच्छा
a. परिभाषा:
शक्ति की इच्छा, जैसा कि फ्रेडरिक नीत्शे ने कहा, वह स्वाभाविक प्रवृत्ति है जिसके तहत राष्ट्र और नेता प्रभुत्व और नियंत्रण की दिशा में प्रयासरत रहते हैं। अंतर्राष्ट्रीय संबंधों में यह विशेष रूप से रणनीतिक लाभ और प्रभाव की खोज में दिखाई देती है।
b. हाल का उदाहरण:
चीन और अमेरिका के बीच की भूराजनीतिक प्रतिस्पर्धा इस इच्छाशक्ति को दर्शाती है, जहां दोनों देश आर्थिक और सैन्य सत्तासीनता के लिए संघर्षरत हैं।
**2. विवेकशीलता और नैतिक कर्तव्य द्वारा निर्देशन
a. विवेकशीलता:
राजनैतिक निर्णय विवेकशीलता के आधार पर लिए जा सकते हैं, जो दीर्घकालिक स्थिरता और सहयोग को प्राथमिकता देती है। पेरिस जलवायु समझौता इसका एक उदाहरण है, जिसमें देशों ने आपसी लाभ की बजाय वैश्विक भलाई को महत्व दिया।
b. नैतिक कर्तव्य:
अंतर्राष्ट्रीय मानक और नैतिक सिद्धांत, जैसे संयुक्त राष्ट्र के सिद्धांत, राज्य की कार्रवाइयों को नैतिक दिशा प्रदान करते हैं। भारत के शांति सैनिक अभियानों में नैतिक कर्तव्य की भावना से अंतर्राष्ट्रीय शांति और स्थिरता को बढ़ावा मिला है।
निष्कर्ष:
हालांकि शक्ति की इच्छा अंतर्राष्ट्रीय संबंधों में प्रमुख भूमिका निभाती है, इसे विवेकशीलता और नैतिक कर्तव्य के सिद्धांतों द्वारा साधित और निर्देशित किया जा सकता है, जैसा कि सहयोगात्मक समझौतों और नैतिक प्रथाओं के माध्यम से देखा जाता है।