भारत में स्थित एक प्रतिष्ठित खाद्य उत्पाद कंपनी ने अंतर्राष्ट्रीय बाजार के लिए एक खाद्य उत्पाद विकसित किया और आवश्यक अनुमोदन प्राप्त करने के बाद उसका निर्यात शुरू कर दिया। कंपनी ने इस उपलब्धि की घोषणा की और यह संकेत भी दिया कि जल्द ही यह उत्पाद घरेलू उपभोक्ताओं के लिए लगभग समान गुणवत्ता और स्वास्थ्य लाभ के साथ उपलब्ध कराया जाएगा। तदनुसार, कंपनी ने अपने उत्पाद को घरेलू सक्षम प्राधिकारी द्वारा अनुमोदित कराया और उत्पाद को भारतीय बाजार में लॉन्च किया। कंपनी ने समय के साथ बाजार में अपनी हिस्सेदारी को बढ़ाया और घरेलू तथा अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर पर्याप्त लाभ अर्जित किया। हालांकि, निरीक्षण दल द्वारा किए गए यादृच्छिक नमूनों (रैंडम सैम्पल) के परीक्षण में पाया गया कि सक्षम प्राधिकारी से प्राप्त अनुमोदन से भिन्न उत्पाद को घरेलू स्तर पर बेचा जा रहा है। आगे की जाँच में यह भी पता चला कि खाद्य कंपनी न केवल ऐसे उत्पादों को बेच रही थी जो देश के स्वास्थ्य मानकों को पूरा नहीं कर रहे थे बल्कि अस्वीकृत निर्यात उत्पाद को भी घरेलू बाजार में बेच रही थी। इस प्रकरण ने खाद्य कंपनी की प्रतिष्ठा और लाभदायकता पर प्रतिकूल प्रभाव डाला।
a. घरेलू बाजार के लिए निर्धारित खाद्य मानकों का उल्लंघन करने और अस्वीकृत निर्यात उत्पादों को घरेलू बाजार में बेचने के लिए खाद्य कंपनी के खिलाफ सक्षम प्राधिकारी द्वारा आप क्या कार्रवाई की कल्पना करते हैं?
b. संकट को हल करने और अपनी खोई हुई प्रतिष्ठा को वापस लाने के लिए खाद्य कंपनी के पास क्या क्रियाविधि उपलब्ध है?
c. मामले में निहित नैतिक दुविधा की जाँच कीजिए। (250 words) [UPSC 2021]
a. सक्षम प्राधिकारी द्वारा की जाने वाली कार्रवाई
सख्त कानूनी और नियामक उपाय: सक्षम प्राधिकारी को निम्नलिखित कार्रवाइयाँ करनी चाहिए:
हालिया उदाहरण: 2020 में, नेस्ले इंडिया को उत्पाद की गुणवत्ता से संबंधित मुद्दों के लिए समान कार्रवाइयाँ की गई थीं। इसमें उत्पादों की वापसी और दंड शामिल थे।
b. खाद्य कंपनी के लिए संकट समाधान की क्रियाविधि
प्रतिष्ठा पुनर्निर्माण: कंपनी निम्नलिखित कदम उठा सकती है:
हालिया उदाहरण: 2021 में, कोका-कोला इंडिया ने उत्पाद सुरक्षा मुद्दों के समाधान के लिए इसी तरह की प्रक्रियाएँ अपनाईं।
c. नैतिक दुविधा की जाँच
नैतिक दुविधा: इस प्रकरण में प्रोफिट और उपभोक्ता सुरक्षा के बीच संतुलन स्थापित करना एक प्रमुख नैतिक दुविधा है।
इस प्रकार, यह मामला कंपनियों के लिए एक महत्वपूर्ण सबक है कि वे नैतिक जिम्मेदारी को पहले रखें और उपभोक्ता स्वास्थ्य की रक्षा करें।