आप एक लोक सेवक हैं, जो ऐसे प्रदेश में तैनात हैं जहाँ अभी-अभी चुनाव संपन्न हुये हैं। नवनिर्वाचित मुख्यमंत्री के चुनाव घोषणा-पत्र में शराब बंदी प्रमुख वादा था। इस वादे को पूरा करने के लिये मुख्यमंत्री ने प्रदेश में शराब की खरीद एवं बिक्री पर पूर्णतः प्रतिबंध लगा दिया। क्या सरकार को इस मामले में दखल देना चाहिये जो ज्यादातर के द्वारा व्यक्तिगत पंसद/इच्छा का मामला माना जाता हो? तर्कसंगत रूप से समीक्षा कीजिये। (200 Words) [UPPSC 2020]
शराब बंदी पर सरकार की भूमिका: तर्कसंगत समीक्षा
1. जन स्वास्थ्य के मुद्दे
शराब का अत्यधिक सेवन विभिन्न स्वास्थ्य समस्याओं से जुड़ा है, जैसे कि लिवर की बीमारियाँ, हृदय रोग, और मानसिक स्वास्थ्य विकार। उदाहरण के लिए, “राष्ट्रीय परिवार स्वास्थ्य सर्वेक्षण” (NFHS) 2023 ने भारत में शराब से संबंधित स्वास्थ्य समस्याओं के बढ़ते मामलों की जानकारी दी है। इस संदर्भ में, शराब पर प्रतिबंध लगाने से स्वास्थ्य संबंधी समस्याओं को कम करने में मदद मिल सकती है।
2. सामाजिक प्रभाव और अपराध में कमी
शराब का दुरुपयोग अक्सर घरेलू हिंसा, सड़क दुर्घटनाएँ, और अपराध से जुड़ा होता है। बिहार और गुजरात जैसे राज्यों में, जहां शराब पर प्रतिबंध है, वहाँ अपराध दर में कमी देखी गई है। “गुजरात प्रोहिबिशन एक्ट” के अनुसार, शराब से संबंधित अपराधों में कमी आई है, जो इस नीति की सामाजिक प्रभावशीलता को दर्शाता है।
3. आर्थिक विचार
शराब उद्योग राज्य के राजस्व में महत्वपूर्ण योगदान देता है, और पूर्ण प्रतिबंध से आर्थिक प्रभाव पड़ सकता है। केरल में शराब बंदी के बाद, राज्य को “केरल स्टेट बेवरेजेज कॉर्पोरेशन” द्वारा राजस्व में कमी का सामना करना पड़ा, जो आर्थिक चुनौती को उजागर करता है।
4. व्यक्तिगत स्वतंत्रता और स्वायत्तता
शराब सेवन व्यक्तिगत स्वतंत्रता का मामला है और पूर्ण प्रतिबंध व्यक्तिगत अधिकारों में हस्तक्षेप कर सकता है। सरकार को वैकल्पिक उपायों पर विचार करना चाहिए, जैसे कि नियंत्रित बिक्री, सार्वजनिक जागरूकता अभियान, और मौजूदा कानूनों को सख्ती से लागू करना, ताकि स्वास्थ्य और सामाजिक मुद्दों का समाधान किया जा सके बिना पूर्ण प्रतिबंध लगाए।
5. हाल के उदाहरण और संतुलन
हाल ही में तमिलनाडु और कर्नाटका में शराब पर प्रतिबंध को आंशिक रूप से रिलैक्स किया गया है, जिससे व्यक्तिगत स्वतंत्रता और आर्थिक प्रभावों के बीच संतुलन की आवश्यकता स्पष्ट होती है। यह दर्शाता है कि पूर्ण प्रतिबंध की बजाय संतुलित दृष्टिकोण अधिक व्यावहारिक हो सकता है।
निष्कर्ष:
शराब पर प्रतिबंध लगाने के मुद्दे पर सरकार का हस्तक्षेप जन स्वास्थ्य और सामाजिक लाभ के संदर्भ में तर्कसंगत हो सकता है, लेकिन व्यक्तिगत स्वतंत्रता और आर्थिक प्रभावों को भी ध्यान में रखना आवश्यक है। एक संतुलित और विचारशील दृष्टिकोण अधिक प्रभावी और व्यवहारिक समाधान प्रदान कर सकता है।