प्रभात एक प्रतिष्ठित बहुराष्ट्रीय कंपनी स्टर्लिंग इलेक्ट्रिक लिमिटेड में उपाध्यक्ष (विपणन) के रूप में कार्यरत था। लेकिन फिलहाल कंपनी मुश्किल दौर से गुजर रही थी क्योंकि पिछली दो तिमाहियों से बिक्री में लगातार गिरावट का रुख दिखाई पड़ रहा था। उसका डिवीजन, जो अब तक कंपनी के वित्तीय स्वास्थ्य में एक प्रमुख राजस्व अंशदाता था, अब उनके लिए कुछ बड़े सरकारी ऑर्डर प्राप्त करने के लिए भरसक प्रयास कर रहा था। लेकिन उनके सर्वोत्तम प्रयासों को कोई सकारात्मक सफलता नहीं मिली। उसकी कंपनी पेशेवर थी और उसके स्थानीय मालिकों पर उनके लंदन स्थित मुख्यालय की ओर से कुछ सकारात्मक परिणाम प्रदर्शित करने का दबाव था। कार्यकारी निदेशक (भारतीय प्रमुख) द्वारा की गई पिछली कार्य-समीक्षा बैठक में उसे उसके खराब प्रदर्शन के लिए फटकार लगाई गई थी। उसने उन्हें आश्वासन दिया कि उसका डिवीजन ग्वालियर के पास एक गुप्त संस्थापन के लिए रक्षा मंत्रालय से एक विशेष अनुबंध पर काम कर रहा है और जल्द ही निविदा जमा की जा रही है। वह अत्यधिक दबाव में था और बहुत परेशान था। जिस बात ने हालात को और बदतर बना दिया, वह थी, ऊपर से एक चेतावनी कि यदि कंपनी के पक्ष में सौदा नहीं हुआ तो उसका डिवीजन बंद करना पड़ सकता है और उसे अपनी लाभप्रद नौकरी छोड़नी पड़ सकती है। एक और आयाम था जो उसे गहरी मानसिक यातना और पीड़ा पहुँचा रहा था। यह उसके व्यक्तिगत अनिश्चित वित्तीय स्वास्थ्य से संबंधित था। वह दो स्कूल-कॉलेज जानेवाले बच्चों और अपनी बीमार बूढ़ी माँ वाले परिवार में अकेला कमाने वाला था। शिक्षा व चिकित्सा पर भारी खर्च के कारण उसके मासिक वेतन वाले पैकेट पर भारी दबाव पड़ रहा था। बैंक से लिए गए गृह ऋण के लिए नियमित ई० एम० आइ० अपरिहार्य थी और चूक करने पर उसे गंभीर कानूनी कार्रवाई के लिए उत्तरदायी होना होगा। उपर्युक्त पृष्ठभूमि में वह किसी चमत्कार के घटित होने की उम्मीद कर रहा था। अचानक घटनाक्रम में बदलाव आ गया। उसके सचिव ने बताया कि एक सज्जन, सुभाष वर्मा उनसे मिलना चाहते हैं, क्योंकि उन्हें कंपनी में प्रबंधक के पद में दिलचस्पी है जिसे कंपनी को भरना है। पुनः उसने उनके संज्ञान में लाया कि उसका आत्मवृत्त रक्षामंत्री के कार्यालय के माध्यम से प्राप्त हुआ है। उसने उम्मीदवार, सुभाष वर्मा के साक्षात्कार के दौरान उसे तकनीकी रूप से मजबूत, साधन-संपन्न और अनुभवी विक्रेता महसूस किया। ऐसा प्रतीत होता था कि वह निविदा प्रक्रिया से भली-भाँति परिचित है और इस संबंध में अनुवर्ती कार्रवाई व अंतर्सम्बंधन में निपुण है। प्रभात को लगा कि उसकी उम्मीदवारी अन्य उम्मीदवारों की तुलना में बेहतर है, जिनका साक्षात्कार हाल में, पिछले कुछ दिनों में उसने लिया था। सुभाष वर्मा ने यह भी संकेत किया कि उसके पास बोली दस्तावेजों की प्रतियाँ हैं जिन्हें यूनीक इलेक्ट्रॉनिक्स लिमिटेड अगले दिन रक्षा मंत्रालय को उसकी निविदा के लिए प्रस्तुत करेगा। उसने उन दस्तावेजों को सौंपने की पेशकश की बशर्ते उसे कंपनी में उपयुक्त नियमों और शर्तों पर रोजगार दिया जाए। उसने स्पष्ट किया कि इस प्रक्रिया में स्टर्लिंग इलेक्ट्रिक लिमिटेड अपनी प्रतिद्वंद्वी कंपनी को पछाड़ सकती है और बोली प्राप्त कर सकती है तथा रक्षा मंत्रालय का भारी-भरकम ऑर्डर प्राप्त कर सकती है। उसने संकेत दिया कि यह उसकी तथा कंपनी दोनों के लिए जीत ही जीत होगी। प्रभात बिलकुल स्तब्ध था। यह सदमा और रोमांच की मिली-जुली अनुभूति थी। वह असहज होकर पसीना-पसीना हो गया। यदि प्रस्ताव स्वीकार कर लिया जाता है, तो उसकी सभी समस्याएँ तुरंत गायब हो जाएँगी और उसे बहुप्रतीक्षित निविदा हासिल करने और कंपनी की बिक्री और वित्तीय स्वास्थ्य को बढ़ावा देने के लिए पुरस्कृत किया जा सकता है। वह भविष्य की कार्रवाई को लेकर असमंजस में था। वह अपनी खुद की कंपनी के कागजात को चोरी-छिपे हटाने और नौकरी के लिए प्रतिद्वंद्वी कंपनी को पेशकश करने में सुभाष वर्मा की हिम्मत पर आश्चर्यचकित था। एक अनुभवी व्यक्ति होने के नाते, वह इस प्रस्ताव/स्थिति के पक्ष-विपक्ष की जाँच कर रहा था और उसने उसे अगले दिन आने के लिए कहा।
a. इस मामले से संबंधित नैतिक मुद्दों पर चर्चा कीजिए।
b. उपर्युक्त मामले में प्रभात के लिए उपलब्ध विकल्पों का आलोचनात्मक परीक्षण कीजिए।
c. उपर्युक्त में से कौन-सा विकल्प प्रभात के लिए सर्वाधिक उपयुक्त होगा और क्यों? (250 words) [UPSC 2022]
नैतिक मुद्दों पर चर्चा
इस मामले में निम्नलिखित नैतिक मुद्दे उठते हैं:
प्रभात के लिए उपलब्ध विकल्पों का आलोचनात्मक परीक्षण
सबसे उपयुक्त विकल्प और कारण
प्रस्ताव को अस्वीकार करना और वरिष्ठ प्रबंधन से परामर्श लेना प्रभात के लिए सबसे उपयुक्त विकल्प हैं।
कारण:
वर्तमान में, Google और Amazon जैसी कंपनियों ने उच्च नैतिक मानकों को बनाए रखते हुए अपने व्यवसाय को सफलतापूर्वक संचालित किया है, जो कि नैतिकता के प्रति प्रतिबद्धता का एक आदर्श उदाहरण है। इसलिए, प्रभात को इन नैतिक मानदंडों को अपनाकर लंबी अवधि की सफलता की दिशा में कदम बढ़ाना चाहिए।