व्यापार, रोजगार, विशेषकर महिला रोजगार, आय और संपत्ति वितरण की समानता आदि पर वैश्वीकरण के प्रभाव की विवेचना कीजिये। (200 Words) [UPPSC 2020]
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वैश्वीकरण के व्यापार, रोजगार और आय-संपत्ति वितरण पर प्रभाव
1. व्यापार
वैश्वीकरण ने अंतर्राष्ट्रीय व्यापार में बाजार की पहुंच और प्रतिस्पर्धा को बढ़ाया है। मुक्त व्यापार समझौतों और वाणिज्यिक उदारीकरण के माध्यम से वैश्विक बाजारों तक पहुंच आसान हुई है। उदाहरण के लिए, क्षेत्रीय समग्र आर्थिक साझेदारी (RCEP) ने सदस्य देशों के बीच व्यापार प्रवाह को बढ़ावा दिया है। हालांकि, यह घरेलू उद्योगों पर भी नकारात्मक प्रभाव डालता है, विशेषकर उन उद्योगों पर जो प्रतिस्पर्धा का सामना नहीं कर सकते।
2. रोजगार
वैश्वीकरण ने नई नौकरियों और उद्योगों को जन्म दिया है। भारत में, आईटी और सेवा क्षेत्र ने वैश्विक आउटसोर्सिंग के कारण महत्वपूर्ण वृद्धि देखी है। फिर भी, यह नौकरी विस्थापन का कारण भी बन सकता है, विशेषकर पारंपरिक क्षेत्रों जैसे कृषि और विनिर्माण में, जहां प्रतिस्पर्धा और प्रौद्योगिकी में प्रगति के कारण नौकरियों की संख्या कम हो रही है।
3. महिला रोजगार
वैश्वीकरण ने महिलाओं के रोजगार के अवसर बढ़ाए हैं, जैसे वस्त्र और परिधान उद्योग में महिलाओं की उच्च भागीदारी। लेकिन इसके साथ ही वेतन अंतर और नौकरी की असुरक्षा जैसी समस्याएं भी सामने आई हैं, जहां महिलाओं को अक्सर पुरुषों की तुलना में कम वेतन मिलता है।
4. आय और संपत्ति वितरण की समानता
वैश्वीकरण ने आर्थिक वृद्धि को बढ़ावा दिया है, लेकिन इससे आय और संपत्ति का अंतर भी बढ़ा है। विकासशील देशों में, जबकि आर्थिक प्रगति हुई है, लाभ अक्सर असमान रूप से वितरित होते हैं, जिससे आय विषमता बढ़ी है। उदाहरण के लिए, भारत में, शीर्ष 1% की संपत्ति में बड़ी वृद्धि देखी गई है, जबकि निम्न-आय समूहों की औसत आय में वृद्धि सीमित रही है।
सारांश में, वैश्वीकरण ने आर्थिक विकास को प्रोत्साहित किया है और नए अवसर प्रदान किए हैं, लेकिन इससे आय असमानता बढ़ी है और विशेषकर महिलाओं के रोजगार में चुनौतियाँ उत्पन्न हुई हैं।