“सूचना अधिकार अधिनियम ने लोकसेवकों को स्टील फ्रेम के बाहर आकर निष्ठापूर्वक जनता की सेवा करने के लिये बाध्य किया है।” व्याख्या करें। (200 Words) [UPPSC 2020]
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सूचना अधिकार अधिनियम और लोकसेवकों की भूमिका
1. सूचना अधिकार अधिनियम (RTI) का परिचय:
सूचना अधिकार अधिनियम 2005 में लागू हुआ, जिसका उद्देश्य लोकसेवकों और सार्वजनिक अधिकारियों से सूचना प्राप्त करना सुलभ बनाना है। यह कानून नागरिकों को सूचना तक पहुंच का अधिकार प्रदान करता है और पारदर्शिता और जवाबदेही को बढ़ावा देता है।
2. स्टील फ्रेम के बाहर आना:
सूचना अधिकार अधिनियम ने लोकसेवकों को पारदर्शिता और जवाबदेही के सिद्धांतों के प्रति संवेदनशील किया है। पहले स्टील फ्रेम के रूप में जाने जाने वाले लोकसेवक अब जनता की सेवा के प्रति अधिक निष्ठावान और जवाबदेह बन गए हैं।
2023 में, RTI आवेदन के माध्यम से, दिल्ली में दिल्ली सरकार द्वारा कोविड-19 राहत फंड की वित्तीय प्रबंधन की जानकारी प्राप्त की गई। इससे सार्वजनिक धन के सदुपयोग पर पारदर्शिता सुनिश्चित हुई।
3. निष्ठापूर्वक सेवा का उदाहरण:
RTI का उपयोग करके नागरिकों ने शासन की नीतियों और फैसलों पर प्रभावी सवाल उठाए हैं। 2019 में, RTI के तहत प्राप्त जानकारी ने आयुष्मान भारत योजना के लाभार्थियों के बारे में सामान्य जानकारी सार्वजनिक की।
RTI ने सार्वजनिक सेवाओं की गुणवत्ता और प्रशासनिक कार्यप्रणाली में सुधार को प्रोत्साहित किया है, जिससे लोकसेवकों को सहयोगी और निष्पक्ष तरीके से काम करने की आदत पड़ी है।
निष्कर्ष:
सूचना अधिकार अधिनियम ने लोकसेवकों को स्टील फ्रेम के बाहर निकलकर निष्ठापूर्वक जनता की सेवा करने के लिए बाध्य किया है। यह कानून पारदर्शिता और जवाबदेही के सिद्धांतों को मजबूत करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभा रहा है।