ई-शासन ने प्रशासनिक तंत्र को किस सीमा तक अधिक नागरिक केंद्रित बनाया है? क्या ई-शासन प्रणाली को और अधिक सहभागी बनाया जा सकता है? (200 Words) [UPPSC 2020]
Lost your password? Please enter your email address. You will receive a link and will create a new password via email.
Please briefly explain why you feel this question should be reported.
Please briefly explain why you feel this answer should be reported.
Please briefly explain why you feel this user should be reported.
ई-शासन और नागरिक केंद्रित प्रशासनिक तंत्र
1. ई-शासन का प्रभाव:
ई-शासन ने प्रशासनिक सेवाओं को सुलभ और पारदर्शी बनाया है। आधिकारिक वेबसाइटें और मोबाइल एप्स के माध्यम से सार्वजनिक सेवाओं की जानकारी और सेवाओं तक पहुंच में वृद्धि हुई है। उदाहरण के तौर पर, माय गवर्नमेंट और गवर्नमेंट ई-मेल पोर्टल्स ने नागरिकों को पेशेवर तरीके से सेवाएं प्रदान की हैं।
ई-शासन ने रियली टाइम डेटा और शिकायत निवारण प्रणाली को सशक्त किया है। सुकन्या समृद्धि योजना और म्हारो गांव मेरा योगदान जैसी पहलें नागरिकों को सीधे प्रशासनिक तंत्र से जोड़ती हैं।
डिजिटल कक्षाएं और ऑनलाइन प्रशिक्षण ने शिक्षा और सूचना पहुंच को सुधार दिया है। ई-शिक्षा और डिजिटल लाइब्रेरी पहलें स्मार्ट सिटी और डिजिटल इंडिया के अंतर्गत आती हैं।
2. अधिक सहभागिता कैसे सुनिश्चित की जाए:
ई-शासन को अधिक सहभागी बनाने के लिए, डिजिटल साक्षरता और उन्नत इन्फ्रास्ट्रक्चर को बढ़ावा देना आवश्यक है। ग्रामीण और दूरदराज क्षेत्रों में इंटरनेट की पहुंच को सुधारना आवश्यक है।
फीडबैक और सहभागिता के लिए ऑनलाइन मंच को सशक्त किया जा सकता है। उदाहरण के लिए, जनसुनवाई पोर्टल्स और सार्वजनिक मंचों को सशक्त करना, जिससे नागरिक प्रशासनिक निर्णयों में सक्रिय भागीदारी कर सकें।
डिजिटल सुरक्षा और निजता की सुनिश्चितता के लिए उन्नत सुरक्षा प्रोटोकॉल लागू किए जाने चाहिए, ताकि नागरिक सुरक्षित रूप से सेवाओं का उपयोग कर सकें।
निष्कर्ष:
ई-शासन ने प्रशासनिक तंत्र को अधिक नागरिक केंद्रित बनाया है, लेकिन इसे अधिक सहभागी बनाने के लिए डिजिटल साक्षरता, सुविधाजनक फीडबैक मंच, और नागरिक डेटा सुरक्षा को सुनिश्चित करना महत्वपूर्ण है।