हिंद महासागर के संसाधनों के शोषण और उपयोग से जुड़ी विभिन्न पारिस्थितिकीय समस्याओं पर प्रकाश डालिये। (200 Words) [UPPSC 2020]
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हिंद महासागर के संसाधनों के शोषण और उपयोग से जुड़ी पारिस्थितिकीय समस्याएँ
हिंद महासागर (Indian Ocean) में उपलब्ध संसाधनों का शोषण और उपयोग विभिन्न पारिस्थितिकीय समस्याओं को जन्म दे रहा है। निम्नलिखित समस्याएँ प्रमुख हैं:
1. समुद्री प्रदूषण:
हिंद महासागर में पेट्रोलियम उत्पादों और रसायनों का रिसाव समुद्री प्रदूषण का प्रमुख कारण है। ऑस्ट्रेलिया के ग्रीट बैरियर रीफ के पास तेल रिसाव ने समुद्री जीवन को नुकसान पहुँचाया है। प्लास्टिक प्रदूषण भी बढ़ रहा है, जो मछलियों और पशु जीवन को प्रभावित कर रहा है।
2. ओवरफिशिंग:
मछली पकड़ने की अत्यधिक गतिविधियाँ मछलियों की प्रजातियों के असंतुलन का कारण बन रही हैं। सॉफ्टशेल कछुओं और व्हेल शार्क जैसी प्रजातियाँ संकट में हैं। लॉन्गलाइन फिशिंग जैसे विधियाँ गैर-लक्षित प्रजातियों को भी प्रभावित कर रही हैं।
3. प्रवाल भित्तियों का क्षय:
वातावरणीय बदलाव और समुद्री तापमान में वृद्धि के कारण प्रवाल भित्तियों का क्षय हो रहा है। मालदीव और श्रीलंका जैसे देशों में, कोरल ब्लिचिंग ने प्रवाल भित्तियों को गंभीर नुकसान पहुँचाया है।
4. तटीय कटाव:
तटीय क्षेत्रों में अतिक्रमण और अवसंरचना विकास के कारण तटीय कटाव बढ़ रहा है। भारत के पश्चिमी तट और स्रीलंका की तटीय रेखाओं पर यह समस्या देखी जा रही है।
5. जलवायु परिवर्तन:
जलवायु परिवर्तन से समुद्री स्तर में वृद्धि और समुद्री तूफान की आवृत्ति बढ़ रही है, जो तटीय पारिस्थितिक तंत्र को प्रभावित कर रही है।
निष्कर्ष:
हिंद महासागर के संसाधनों का अविवेकपूर्ण शोषण और उपयोग पारिस्थितिकीय समस्याओं का कारण बन रहा है, जिससे समुद्री जीवन और तटीय पारिस्थितिक तंत्र पर विपरीत प्रभाव पड़ रहा है। इन समस्याओं को नियंत्रित करने के लिए अंतर्राष्ट्रीय सहयोग और सतत प्रबंधन की आवश्यकता है।