नैतिक निर्णय लेने के सन्दर्भ में जब कानून, नियमों और अधिनियमों की तुलना की जाती है तो क्या अंतरात्मा की आवाज़ अधिक विश्वसनीय मार्गदर्शक है? चर्चा कीजिए । (150 words)[UPSC 2023]
Lost your password? Please enter your email address. You will receive a link and will create a new password via email.
Please briefly explain why you feel this question should be reported.
Please briefly explain why you feel this answer should be reported.
Please briefly explain why you feel this user should be reported.
नैतिक निर्णय लेने में अंतरात्मा बनाम कानून
अंतरात्मा की विश्वसनीयता: अंतरात्मा एक व्यक्ति की आंतरिक नैतिक समझ होती है, जो व्यक्तिगत मूल्यों और नैतिकता पर आधारित होती है। यह जटिल या अनिश्चित परिस्थितियों में व्यक्तिगत नैतिकता की सूक्ष्मता को उजागर कर सकती है। उदाहरण के लिए, स्नोडन का मामला, जिसमें एदवर्ड स्नोडन ने अपनी अंतरात्मा के आधार पर निगरानी प्रथाओं का खुलासा किया, कानूनों का उल्लंघन किया लेकिन व्यापक नैतिकता और जनहित की रक्षा की।
कानून, नियम और अधिनियम: कानून और नियम समाज के लिए एक मानकीकृत नैतिक ढांचा प्रदान करते हैं। ये सार्वभौमिक रूप से लागू होते हैं और व्यापक सुरक्षा सुनिश्चित करते हैं। उदाहरण के लिए, पेरिस जलवायु समझौता जैसे पर्यावरणीय कानून, वैश्विक स्तर पर जलवायु परिवर्तन को संबोधित करने के लिए आवश्यक संरचना और प्रतिबद्धताएं प्रदान करते हैं।
तुलना: हालांकि अंतरात्मा व्यक्तिगत नैतिक स्पष्टता प्रदान करती है, कानून और नियम एक स्थिर और व्यापक ढांचा सुनिश्चित करते हैं। नैतिक निर्णय लेने में, अंतरात्मा और कानूनी ढांचे के बीच संतुलन आवश्यक होता है ताकि व्यक्तिगत और सामाजिक नैतिकता को समन्वित किया जा सके।
इस प्रकार, जबकि अंतरात्मा व्यक्तिगत नैतिक मार्गदर्शन देती है, कानून और नियम व्यापक अनुपालन और संरचना सुनिश्चित करते हैं।