सूखे को उसके स्थानिक विस्तार, कालिक अवधि, मंथर प्रारम्भ और कमज़ोर बगों पर स्थायी प्रभावों की दृष्टि से आपदा के रूप में मान्यता दी गई है। राष्ट्रीय आपदा प्रबन्धन प्राधिकरण (एन० डी० एम० ए०) के सितम्बर 2010 मार्गदर्शी सिद्धान्तों पर ध्यान केन्द्रित करते हुए भारत में एल नीनो और ला नीना के सम्भावित दुष्प्रभावों से निपटने के लिए तैयारी की कार्यविधियों पर चर्चा कीजिए। (200 words) [UPSC 2014]
परिचय: सूखा को उसके विशाल स्थानिक प्रभाव, दीर्घकालिक अवधि, मंथर प्रारंभ, और कमज़ोर वर्गों पर स्थायी प्रभावों की दृष्टि से आपदा के रूप में मान्यता दी गई है। एनडीएमए (राष्ट्रीय आपदा प्रबंधन प्राधिकरण) के सितम्बर 2010 के मार्गदर्शी सिद्धांतों पर आधारित, भारत में एल नीनो और ला नीना के संभावित दुष्प्रभावों से निपटने के लिए विभिन्न तैयारी कार्यविधियाँ निर्धारित की गई हैं।
सितम्बर 2010 एनडीएमए मार्गदर्शी सिद्धांतों के तहत तैयारी:
हाल के उदाहरण:
निष्कर्ष: सितम्बर 2010 के एनडीएमए मार्गदर्शी सिद्धांत सूखा प्रबंधन के लिए एक व्यापक दृष्टिकोण प्रदान करते हैं। एल नीनो और ला नीना के संभावित दुष्प्रभावों से निपटने के लिए प्रारंभिक चेतावनी प्रणालियाँ, जल संसाधन प्रबंधन, सूखा-प्रतिरोधी कृषि प्रथाएँ, और प्रभावी प्रतिक्रिया योजनाओं का कार्यान्वयन महत्वपूर्ण है। इन तैयारियों से भारत सूखे और जलवायु परिवर्तन से बेहतर तरीके से निपट सकता है।