“गाँवों में सहकारी समिति को छोड़कर, ऋण संगठन का कोई भी अन्य ढाँचा उपयुक्त नहीं होगा।”- अखिल भारतीय ग्रामीण ऋण सर्वेक्षण। भारत में कृषि वित्त की पृष्ठभूमि में, इस कथन पर चर्चा कीजिए। कृषि वित्त प्रदान करने वाली वित्तीय संस्थाओं को किन बाध्यताओं और कसौटियों का सामना करना पड़ता है? ग्रामीण सेवार्थियों तक बेहतर पहुँच और सेवा के लिए प्रौद्योगिकी का किस प्रकार इस्तेमाल किया जा सकता है? (200 words) [UPSC 2014]
गाँवों में सहकारी समितियों की उपयुक्तता और कृषि वित्त में बाधाएँ:
1. सहकारी समितियों की उपयुक्तता:
2. कृषि वित्त में बाधाएँ:
3. प्रौद्योगिकी का उपयोग:
निष्कर्ष: सहकारी समितियाँ गाँवों में ऋण संगठनों के रूप में अत्यंत उपयुक्त हैं क्योंकि वे स्थानीय जरूरतों और प्रबंधन को बेहतर ढंग से समझती हैं। कृषि वित्त की प्रभावशीलता को सुधारने के लिए प्रौद्योगिकी का उपयोग महत्वपूर्ण है, जिसमें डिजिटल बैंकिंग, फिनटेक समाधान, और स्मार्ट एग्रीकल्चर तकनीकों के माध्यम से बेहतर पहुँच और सेवा सुनिश्चित की जा सकती है।