मानवाधिकार सक्रियतावादी लगातार इस विचार को उजागर करते रहे हैं कि सशस्त्र बल (विशेष शक्तियाँ) अधिनियम, 1958 (ए.एफ.एस.पी.ए.) एक क्रूर अधिनियम है, जिससे सुरक्षा बलों के द्वारा मानवाधिकार दुरुपयोगों के मामले उत्पन्न होते हैं। इस अधिनियम की कौन-सी धाराओं का सक्रियतावादी विरोध करते हैं ? उच्चतम न्यायालय के द्वारा व्यक्त विचार के संदर्भ में इसकी आवश्यकता का समालोचनात्मक मूल्यांकन कीजिए । (200 words) [UPSC 2015]
सशस्त्र बल (विशेष शक्तियाँ) अधिनियम, 1958 (AFSPA) और मानवाधिकार संबंधी चिंताएँ:
1. विवादित धाराएँ:
2. मानवाधिकार सक्रियतावादियों का विरोध:
3. उच्चतम न्यायालय की राय:
4. हाल की घटनाएँ:
5. समालोचनात्मक मूल्यांकन:
निष्कर्ष:
सशस्त्र बल (विशेष शक्तियाँ) अधिनियम, 1958 की विशेष शक्तियाँ और छूट, जबकि सुरक्षा आवश्यकताओं को पूरा करती हैं, मानवाधिकार उल्लंघनों के लिए गंभीर चिंताओं का कारण बनती हैं। सुधार और मानवाधिकार संरक्षण की दिशा में संगठित प्रयास आवश्यक हैं।