कृषि विकास में भूमि सुधारों की भूमिका की विवेचना कीजिए। भारत में भूमि सुधारों की सफलता के लिए उत्तरदायी कारकों को चिह्नित कीजिए। (200 words) [UPSC 2016]
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कृषि विकास में भूमि सुधारों की भूमिका
1. भूमि सुधारों की आवश्यकता:
भूमि सुधार कृषि विकास के आधारभूत तत्व हैं जो भूमि का प्रभावी उपयोग और उत्पादन में वृद्धि सुनिश्चित करते हैं। ये सुधार भूमि वितरण, स्वामित्व अधिकार, और कृषि प्रक्रियाओं में सुधार करने का प्रयास करते हैं।
2. भूमि सुधारों की प्रमुख भूमिकाएँ:
a. भूमि का पुनर्वितरण:
भूमि सुधारों ने छोटे और सीमांत किसानों के लिए भूमि का पुनर्वितरण सुनिश्चित किया, जिससे समान वितरण और सामाजिक न्याय को बढ़ावा मिला। हरित क्रांति के दौरान, भूमि सुधारों ने उत्पादकता को बढ़ाया और कृषि में पूंजी निवेश को प्रोत्साहित किया।
b. स्वामित्व अधिकारों का सुधार:
भूमि सुधारों ने स्वामित्व अधिकार को पंजीकृत करने और कानूनी सुरक्षा प्रदान करने के माध्यम से कृषि में स्थिरता सुनिश्चित की। इससे कृषि ऋण प्राप्त करने में आसानी हुई और विकासात्मक योजनाओं का लाभ उठा सके।
c. भूमि उपयोग और सिंचाई में सुधार:
भूमि सुधारों ने सिंचाई के तरीकों और भूमि उपयोग के कुशल प्रबंधन में भी योगदान किया। ड्रिप और स्प्रिंकलर सिंचाई जैसे सुधारों ने जल-उपयोग दक्षता को बढ़ाया और उत्पादकता को बढ़ाया।
3. भारत में भूमि सुधारों की सफलता के कारक:
a. प्रभावी कार्यान्वयन:
राज्य सरकारों द्वारा नीति सुधारों का प्रभावी कार्यान्वयन और कृषि योजनाओं का उचित पालन भूमि सुधारों की सफलता में महत्वपूर्ण रहा है।
b. सरकारी योजनाएँ:
“भूमि सुधार आयोग” और “राष्ट्रीय भूमि सुधार परिषद” जैसी सरकारी पहलों ने भूमि सुधारों को प्रोत्साहित किया। “स्वामित्व योजना” और “प्रधानमंत्री आवास योजना” ने भूमि सुधारों को लागू करने में मदद की।
c. सार्वजनिक और निजी क्षेत्र की भागीदारी:
सार्वजनिक और निजी क्षेत्रों के सहयोग ने भूमि सुधारों को सफलतापूर्वक लागू करने और कृषि उत्पादकता को बढ़ाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है।
4. निष्कर्ष:
भूमि सुधार कृषि विकास में मूलभूत भूमिका निभाते हैं। स्वामित्व अधिकारों का सशक्तिकरण, भूमि का पुनर्वितरण, और सिंचाई में सुधार भूमि सुधारों की सफलता में योगदान देते हैं। भारत में नीति कार्यान्वयन, सरकारी योजनाएँ, और सार्वजनिक-निजी भागीदारी भूमि सुधारों की सफलता को सुनिश्चित करती हैं।