भारतीय सन्दर्भ में समावेशी विकास में निहित चुनौतियों, जिनमें लापरवाह और बेकार जनशक्ति शामिल है, पर टिप्पणी कीजिए। इन चुनौतियों का सामना करने के उपाय सुझाइए। (200 words) [UPSC 2016]
Lost your password? Please enter your email address. You will receive a link and will create a new password via email.
Please briefly explain why you feel this question should be reported.
Please briefly explain why you feel this answer should be reported.
Please briefly explain why you feel this user should be reported.
भारतीय संदर्भ में समावेशी विकास की चुनौतियाँ
1. लापरवाह और बेकार जनशक्ति: भारत में समावेशी विकास के रास्ते में लापरवाह और बेकार जनशक्ति एक प्रमुख चुनौती है। यह स्थिति अशिक्षा, आवश्यक कौशलों की कमी, और प्रशासनिक विफलता के कारण उत्पन्न होती है। अनौपचारिक क्षेत्र में कामकाजी व्यक्तियों की आय असमानता और कामकाजी सुरक्षा की कमी से भी यह समस्या गंभीर हो जाती है। उदाहरण के लिए, युवा बेरोजगारी की समस्या और कौशल के अद्यतन की कमी जैसी समस्याएँ इसके मुख्य कारण हैं।
2. उपाय:
a. शिक्षा और कौशल विकास: लापरवाह जनशक्ति को शिक्षा और कौशल विकास के माध्यम से सुधारना आवश्यक है। प्रधानमंत्री कौशल विकास योजना (PMKVY) और साक्षरता मिशन जैसी योजनाएँ युवाओं को प्रशिक्षित कर रही हैं और उनके रोजगार की संभावनाओं को बढ़ा रही हैं।
b. बेहतर नियोजन और प्रशासन: अच्छे प्रशासनिक ढांचे के माध्यम से कार्यक्रमों और योजनाओं को अधिक प्रभावी ढंग से लागू करना चाहिए। उदाहरण के लिए, मंगलसूत्र योजना और आयुष्मान भारत जैसी योजनाओं ने स्वास्थ्य और शिक्षा क्षेत्रों में सुधार लाने का प्रयास किया है।
c. औपचारिक क्षेत्र में रोजगार: औपचारिक क्षेत्र में अधिक रोजगार सृजन की आवश्यकता है, जिससे कि मजदूरी असमानता और बेहतर कार्य वातावरण को सुनिश्चित किया जा सके। मेक इन इंडिया और स्टार्टअप इंडिया जैसी पहलों ने औपचारिक क्षेत्र में रोजगार के अवसर बढ़ाने का प्रयास किया है।
d. सरकारी योजनाओं की निगरानी: सरकारी योजनाओं और योजनाओं की निगरानी को सुदृढ़ करना होगा ताकि उनके लक्ष्यों की प्राप्ति सुनिश्चित हो सके। समावेशी विकास रिपोर्ट्स और जनगणना डेटा का विश्लेषण इस प्रक्रिया में सहायक हो सकता है।
निष्कर्ष: समावेशी विकास में लापरवाह और बेकार जनशक्ति की चुनौतियों का सामना शिक्षा, कौशल विकास, अच्छे प्रशासन, औपचारिक रोजगार और सही निगरानी के माध्यम से किया जा सकता है। इन उपायों से भारत में समावेशी विकास की दिशा में महत्वपूर्ण प्रगति हो सकती है।