राम मूर्ति एक सरकारी कर्मचारी हैं तथा अपने वृद्ध माता-पिता के साथ इंदौर में रहते हैं। एक दिन भ्रमण के दौरान 11 वर्ष के एक अनाथ बालक के उनकी मुलाकात हो जाती है। वह दयनीय स्थिति में एक बेघर बालक था, जिसकी देख-भाल करने वाला कोई नहीं था। राम मूर्ति उस बालक को अपने घर ले आते हैं और प्रस्ताव रखते हैं कि यदि वह राम मूर्ति के वृद्ध माता-पिता की देखभाल करेगा, तो वे उसकी आवश्यकतानुसार दैनिक मजदूरी देंगे तथा शिक्षा की भी व्यवस्था करेंगे। नैतिक दृष्टिकोण से राम मूर्ति के आचरण का मूल्यांकन कीजिये। (200 Words) [UPPSC 2021]
राम मूर्ति के आचरण का नैतिक दृष्टिकोण से मूल्यांकन
**1. उद्देश्य और करुणा: राम मूर्ति का अनाथ बालक को अपने घर लाकर और उसे सहायता देने का प्रस्ताव करुणा और मानवता को दर्शाता है। उनका उद्देश्य बालक की तत्कालिक समस्याओं का समाधान करना और उसे दीर्घकालिक समर्थन प्रदान करना है, जो नैतिक दृष्टिकोण से सराहनीय है।
**2. नैतिक चिंताएँ:
**3. कानूनी और संस्थागत विचार: नैतिक रूप से, बालक की भलाई को संस्थागत देखभाल और प्रोफेशनल चाइल्ड वेलफेयर के मानकों के अनुसार देखना चाहिए। बालक को अधिकतम सुरक्षा और विकास की आवश्यकता होती है, जो केवल एक पेशेवर संस्था ही सुनिश्चित कर सकती है।
**4. संभावित सकारात्मक प्रभाव: राम मूर्ति की पहल का सकारात्मक प्रभाव भी हो सकता है यदि यह पारदर्शिता और उचित देखभाल के साथ की जाए। अगर बालक की ज़रूरतों को पूरा किया जाता है और उसकी भूमिका स्पष्ट रूप से परिभाषित की जाती है, तो यह बालक को स्थिरता और शिक्षा के अवसर प्रदान कर सकता है।
निष्कर्ष: राम मूर्ति का आचरण नैतिक करुणा और सहायता को दर्शाता है। हालांकि, शोषण और सत्ता असंतुलन की संभावनाओं को देखते हुए, यह आवश्यक है कि उनकी पहल पारदर्शी हो और बालक की भलाई और अधिकारों को प्राथमिकता दी जाए। उचित देखभाल और संस्थागत समर्थन के साथ, उनके प्रयास अधिक नैतिक रूप से मान्य हो सकते हैं।