भारत के तीसरे चंद्रमा मिशन का मुख्य कार्य क्या है जिसे इसके पहले के मिशन में हासिल नहीं किया जा सका? जिन देशों ने इस कार्य को हासिल कर लिया है उनकी सूची दीजिए। प्रक्षेपित अंतरिक्ष यान की उपप्रणालियों को प्रस्तुत कीजिए और विक्रम साराभाई अंतरिक्ष केन्द्र के ‘आभासी प्रक्षेपण नियंत्रण केन्द्र’ की उस भूमिका का वर्णन कीजिए जिसने श्रीहरिकोटा से सफल प्रक्षेपण में योगदान दिया है। (250 words) [UPSC 2023]
भारत के तीसरे चंद्रमा मिशन का मुख्य कार्य और पूर्ववर्ती मिशनों की उपलब्धियां
चंद्रयान-3 का मुख्य कार्य:
भारत का तीसरा चंद्रमा मिशन, चंद्रयान-3, मुख्य रूप से मूल रूप से चंद्रमा के दक्षिणी ध्रुव क्षेत्र पर सफलतापूर्वक सॉफ्ट लैंडिंग करना है। इसके पहले के मिशन, चंद्रयान-2, में लैंडर के गिरने के कारण यह कार्य पूरा नहीं हो सका था। चंद्रयान-3 के साथ, ISRO ने सटीक लैंडिंग तकनीकों और प्रणालियों को सुनिश्चित किया है ताकि चंद्रमा पर नियंत्रित और सुरक्षित लैंडिंग की जा सके।
जिन देशों ने सफलतापूर्वक सॉफ्ट लैंडिंग की है:
चंद्रयान-3 अंतरिक्ष यान की उपप्रणालियाँ:
आभासी प्रक्षेपण नियंत्रण केन्द्र (VLCC) की भूमिका:
विक्रम साराभाई अंतरिक्ष केन्द्र में स्थित आभासी प्रक्षेपण नियंत्रण केन्द्र (VLCC) ने चंद्रयान-3 के सफल प्रक्षेपण में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। इसकी मुख्य भूमिकाएँ थीं:
संक्षेप में, चंद्रयान-3 का मुख्य कार्य चंद्रमा पर सॉफ्ट लैंडिंग को सफल बनाना है, जो चंद्रयान-2 में पूरा नहीं हो सका। अमेरिका, सोवियत संघ, और चीन ने इस कार्य को सफलतापूर्वक पूरा किया है। चंद्रयान-3 में उन्नत उपप्रणालियाँ हैं, और VLCC ने लॉन्च के दौरान रियल-टाइम निगरानी और समन्वय के माध्यम से सफल प्रक्षेपण में महत्वपूर्ण योगदान दिया।