संजीव एक आदर्शवादी है। उसका विश्वास है कि “सत्य सर्वश्रेष्ठ सद्गुण है तथा सत्य से कभी समझौता नहीं करना चाहिए”। एक दिन उसने डंडा तथा पत्थर हाथ में लिए हुए लोगों की भीड़ से भागते हुए एक व्यक्ति को देखा। वह उसे एक विशिष्ट स्थान पर छुपते हुए भी देख लेता है। भीड़ ने संजीव से पूछा कि क्या उसने चोर को देखा है? संजीव ने सच बता दिया और उस जगह की ओर इशारा कर दिया जहाँ उसे छुपते हुए दिखा था। भीड़ उस व्यक्ति को पकड़ लेती है और मरने तक पीटती रहती है। उपर्युक्त परिस्थिति के प्रकाश में संजीव के आचरण पर टिप्पणी कीजिए । (200 Words) [UPPSC 2022]
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संजीव के आचरण को आदर्शवादी दृष्टिकोण से देखना महत्वपूर्ण है, लेकिन यह स्थिति जटिल नैतिक प्रश्न उठाती है। संजीव का विश्वास है कि “सत्य सर्वश्रेष्ठ सद्गुण है” और वह किसी भी परिस्थिति में सत्य से समझौता नहीं करना चाहता। उसने सही रूप में बताकर अपनी नैतिक जिम्मेदारी पूरी की। लेकिन, उसकी सच्चाई की घोषणा ने हिंसात्मक परिणाम उत्पन्न किए, जिसमें व्यक्ति को गंभीर चोटें आईं।
इस संदर्भ में, संजीव का आचरण सत्यवादी था, लेकिन यह आवश्यक है कि सत्य की घोषणा के साथ-साथ उसके संभावित परिणामों पर भी विचार किया जाए। सामाजिक संदर्भ और परिस्थितियों की जाँच की जानी चाहिए ताकि यह सुनिश्चित हो सके कि सत्य का खुलासा किसी की जान को खतरे में न डाले। संजीव की स्थिति में, यह महत्वपूर्ण था कि वह जानकारी देने के साथ-साथ भीड़ को हिंसा से रोकने के उपाय भी करता।
इस प्रकार, आदर्शवाद का पालन करते हुए भी, संजीव को नैतिक जिम्मेदारी का संतुलन बनाए रखना चाहिए था। सत्य का मूल्यांकन करते समय सामाजिक सुरक्षा और हिंसा के संभावित खतरे पर भी ध्यान देना आवश्यक है।
जीव के आचरण पर टिप्पणी: सत्य और नैतिकता के दृष्टिकोण से
**1. सत्य और नैतिकता का संघर्ष
संजिव का मानना है कि “सत्य सर्वश्रेष्ठ सद्गुण है” और सत्य से कभी समझौता नहीं करना चाहिए। जबकि सत्य का पालन करना नैतिक रूप से महत्वपूर्ण है, इस स्थिति में उसके निर्णय का नैतिक दायरा महत्वपूर्ण है। संजीव ने सच बोलकर व्यक्ति की पहचान उजागर की, जिससे उसकी सुरक्षा की बजाय भीड़ के हाथों हिंसा का शिकार हुआ।
**2. सत्य का दायरा और जिम्मेदारी
सत्य बोलना आवश्यक है, लेकिन समाज की सुरक्षा और व्यक्तिगत सुरक्षा को भी ध्यान में रखना चाहिए। इस स्थिति में, संजीव को यह सोचना चाहिए था कि भीड़ की हिंसात्मक प्रवृत्ति के चलते व्यक्ति को सुरक्षित रखना भी एक जिम्मेदारी है।
**3. हाल का उदाहरण
हाल ही में, 2023 में उत्तर प्रदेश में एक भीड़ ने चोर को पकड़ने के बाद उसे पीटा, जबकि स्थानीय पुलिस ने उसे समय पर सुरक्षित किया होता। इस प्रकार की घटनाएँ यह दर्शाती हैं कि सत्य बोलना आवश्यक है, लेकिन हिंसा से बचने के उपाय भी महत्वपूर्ण हैं।
**4. संजीव के आचरण का प्रभाव
संजिव के द्वारा सच बोलने का आदर्श सिद्धांत तो है, लेकिन जब परिणाम घातक हो सकते हैं, तब संतुलित निर्णय लेना अधिक महत्वपूर्ण होता है। संजीव को परिस्थिति की गम्भीरता को समझते हुए, सत्य की पुष्टि करने के साथ-साथ, व्यक्ति की सुरक्षा के लिए किसी प्रकार की मदद करनी चाहिए थी।
निष्कर्ष:
सत्य का पालन महत्वपूर्ण है, लेकिन इसके साथ-साथ व्यक्तिगत और समाजिक सुरक्षा की जिम्मेदारी भी उतनी ही महत्वपूर्ण है। संजीव के आचरण में सत्य का पालन तो किया, लेकिन भीड़ की हिंसा से बचाव के लिए और भी नैतिक पहलुओं पर विचार करना चाहिए था।