मृत्यु दंडादेशों के लघुकरण में राष्ट्रपति के विलंब के उदाहरण न्याय प्रत्याख्यान (डिनायल) के रूप में लोक वाद-विवाद के अधीन आए हैं। क्या राष्ट्रपति द्वारा ऐसी याचिकाओं को स्वीकार करने / अस्वीकार करने के लिए एक समय सीमा का विशेष रूप से उल्लेख किया जाना चाहिए ? विश्लेषण कीजिये। (200 words) [UPSC 2014]
राष्ट्रपति द्वारा मृत्यु दंडादेशों के लघुकरण (कम्प्यूटेशन) में विलंब अक्सर न्याय प्रत्याख्यान के रूप में आलोचना का विषय बनता है। इस परिप्रेक्ष्य में, यह सवाल उठता है कि क्या राष्ट्रपति द्वारा ऐसी याचिकाओं को स्वीकार करने या अस्वीकार करने के लिए एक विशेष समय सीमा का उल्लेख होना चाहिए।
समय सीमा के पक्ष में तर्क:
समय सीमा के विपक्ष में तर्क:
निष्कर्ष:
समय सीमा की आवश्यकता और उसकी उचितता का निर्धारण करते समय मामलों की जटिलता और न्याय की गुणवत्ता के बीच संतुलन बनाए रखना आवश्यक है। एक संभावित समाधान यह हो सकता है कि एक उचित और लचीली समय सीमा तय की जाए, जो त्वरित निर्णय सुनिश्चित करे लेकिन साथ ही उचित विचार-विमर्श की सुविधा भी प्रदान करे।