चर्चा कीजिए कि वे कौन-से संभावित कारक हैं जो भारत को राज्य की नीति के निदेशक तत्त्व में प्रदत्त के अनुसार अपने नागरिकों के लिए समान सिविल संहिता को अभिनियमित करने से रोकते हैं। (200 words) [UPSC 2015]
Lost your password? Please enter your email address. You will receive a link and will create a new password via email.
Please briefly explain why you feel this question should be reported.
Please briefly explain why you feel this answer should be reported.
Please briefly explain why you feel this user should be reported.
भारत में समान सिविल संहिता (UCC) को लागू करने में कई कारक बाधा डालते हैं:
धार्मिक विविधता: भारत में विभिन्न धर्मों के अनुयायी अपने-अपने व्यक्तिगत कानूनों का पालन करते हैं, जैसे हिंदू कानून, मुस्लिम कानून, और ईसाई कानून। इन विविधताओं को एक समान संहिता में समेटना कठिन है, क्योंकि प्रत्येक समुदाय अपने पारंपरिक कानूनों को संरक्षित रखना चाहता है।
राजनीतिक संवेदनशीलता: UCC एक संवेदनशील राजनीतिक मुद्दा है। राजनीतिक दल अपने वोट बैंक को ध्यान में रखते हुए इस मुद्दे पर एकराय नहीं बना पाते। खासकर धार्मिक आधार पर वोटिंग के चलते किसी भी बदलाव से राजनीतिक हानि का डर होता है।
सांस्कृतिक और धार्मिक मान्यता: कई समुदाय अपने धार्मिक कानूनों को सांस्कृतिक और पहचान से जुड़े मुद्दों के रूप में देखते हैं। UCC के माध्यम से इन कानूनों में बदलाव करने से इन समुदायों के पहचान पर खतरा माना जाता है।
कानूनी और व्यवस्थागत चुनौतियाँ: समान सिविल संहिता को लागू करने के लिए जटिल कानूनी और व्यवस्थागत ढांचे की आवश्यकता होती है। इसके लिए सभी समुदायों का समर्थन और व्यापक सलाह-मशविरा आवश्यक है, जो कठिन हो सकता है।
इन कारकों के कारण, भारत में UCC को लागू करने में कठिनाई आती है, जिससे समानता और न्याय की दिशा में कदम उठाना चुनौतीपूर्ण हो जाता है।