कोहिलो केस में क्या अभिनिर्धारित किया गया था ? इस संदर्भ में, क्या आप कह सकते हैं कि न्यायिक पुनर्विलोकन संविधान के बुनियादी अभिलक्षणों में प्रमुख महत्त्व का है ? (200 words) [UPSC 2016]
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कोहिलो केस, जिसे I.R. Coelho v. State of Tamil Nadu (2007) के रूप में जाना जाता है, भारतीय संविधान के बुनियादी संरचनाओं के संरक्षण के संदर्भ में महत्वपूर्ण निर्णय था।
कोहिलो केस में अभिनिर्धारित बातें:
संविधान संशोधन और बुनियादी संरचना: इस केस में सुप्रीम कोर्ट ने पुष्टि की कि संसद के पास संविधान संशोधन की शक्ति है, लेकिन यह शक्ति संविधान की बुनियादी संरचना को बदलने या नष्ट करने के लिए नहीं है। संविधान की बुनियादी संरचना, जैसे कि लोकतंत्र, धर्मनिरपेक्षता, और विधायिका की स्वतंत्रता, को किसी भी संशोधन से प्रभावित नहीं किया जा सकता।
न्यायिक पुनर्विलोकन का दायरा: कोर्ट ने यह भी स्पष्ट किया कि संविधान संशोधनों की न्यायिक पुनर्विलोकन की शक्ति निरंतर रहेगी। इसका मतलब है कि कोई भी संशोधन जो बुनियादी संरचना के सिद्धांतों का उल्लंघन करता है, उसे न्यायालय द्वारा असंवैधानिक घोषित किया जा सकता है।
न्यायिक पुनर्विलोकन का महत्व:
न्यायिक पुनर्विलोकन संविधान के बुनियादी अभिलक्षणों में प्रमुख महत्त्व का है। यह सुनिश्चित करता है कि किसी भी संविधान संशोधन या कानून का कार्यान्वयन संविधान की बुनियादी संरचना से मेल खाता हो। न्यायिक पुनर्विलोकन न केवल संविधान की मूलभूत संरचना की रक्षा करता है, बल्कि लोकतंत्र, विधि के शासन, और नागरिक अधिकारों की रक्षा भी करता है। कोहिलो केस ने न्यायिक पुनर्विलोकन की इस भूमिका की पुष्टि की, यह साबित करते हुए कि यह संविधान की स्थिरता और उसकी बुनियादी संरचनाओं की सुरक्षा के लिए अनिवार्य है।