‘उद्देशिका (प्रस्तावना)’ में शब्द ‘गणराज्य’ के साथ जुड़े प्रत्येक विशेषण पर चर्चा कीजिए । क्या वर्तमान परिस्थितियों में वे प्रतिरक्षणीय हैं ? (200 words) [UPSC 2016]
Lost your password? Please enter your email address. You will receive a link and will create a new password via email.
Please briefly explain why you feel this question should be reported.
Please briefly explain why you feel this answer should be reported.
Please briefly explain why you feel this user should be reported.
भारतीय संविधान की उद्देशिका (प्रस्तावना) में ‘गणराज्य’ के साथ जुड़े विशेषण हैं: “संप्रभु समाजवादी धर्मनिरपेक्ष लोकतंत्रात्मक गणराज्य।” प्रत्येक विशेषण की चर्चा और उनकी वर्तमान परिस्थितियों में प्रतिरक्षणीयता निम्नलिखित है:
1. संप्रभु (Sovereign)
अर्थ: ‘संप्रभु’ का मतलब है कि भारत पूर्ण स्वतंत्रता और अधिकार के साथ अपने आंतरिक और बाहरी मामलों का प्रबंधन करता है।
प्रतिरक्षणीयता: यह सिद्धांत आज भी मजबूत है। भारत अपनी संप्रभुता को बनाए हुए है, और अंतर्राष्ट्रीय संधियों और संबंधों के बावजूद, देश के आंतरिक मामलों में पूरी स्वतंत्रता रखता है।
2. समाजवादी (Socialist)
अर्थ: ‘समाजवादी’ का तात्पर्य है आर्थिक समानता और संसाधनों का न्यायपूर्ण वितरण सुनिश्चित करना।
प्रतिरक्षणीयता: यह आदर्श आज भी प्रासंगिक है, हालांकि इसकी कार्यान्वयन में चुनौतियाँ हैं। सरकार सामाजिक कल्याण योजनाओं और आर्थिक सुधारों के माध्यम से असमानता को कम करने का प्रयास कर रही है, परन्तु पूर्णता की दिशा में अभी भी कार्य होना बाकी है।
3. धर्मनिरपेक्ष (Secular)
अर्थ: ‘धर्मनिरपेक्ष’ का मतलब है कि राज्य सभी धर्मों के प्रति समान दृष्टिकोण रखता है और किसी भी धर्म को विशेष लाभ या हानि नहीं पहुँचाता।
प्रतिरक्षणीयता: संविधान में धर्मनिरपेक्षता की अवधारणा कायम है, लेकिन व्यवहार में धार्मिक तनाव और विवाद होते रहते हैं। इसके बावजूद, संविधान और राज्य नीति धर्मनिरपेक्षता को सुनिश्चित करने का प्रयास करती हैं।
4. लोकतंत्रात्मक (Democratic)
अर्थ: ‘लोकतंत्रात्मक’ का तात्पर्य है कि सरकार जनप्रतिनिधियों के माध्यम से जनता द्वारा चुनी जाती है और जनता के प्रति उत्तरदायी होती है।
प्रतिरक्षणीयता: भारत का लोकतांत्रिक ढाँचा सक्रिय और सशक्त है। नियमित चुनाव, प्रतिनिधि संस्थाएँ और नागरिक स्वतंत्रताएँ लोकतंत्र की जड़ें मजबूत करती हैं, हालांकि राजनीतिक चुनौतियाँ और सुधार की आवश्यकता बनी रहती है।
निष्कर्ष
उद्देशिका में वर्णित विशेषण भारत के गणराज्य के मूलभूत आदर्शों को दर्शाते हैं। ये विशेषण वर्तमान परिस्थितियों में भी सामान्यतः प्रतिरक्षणीय हैं, यद्यपि उनके कार्यान्वयन में चुनौतियाँ और सुधार की संभावनाएँ बनी रहती हैं।