“नियंत्रक और महालेखापरीक्षक (सी० ए० जी०) को एक अत्यावश्यक भूमिका निभानी होती है।” व्याख्या कीजिए कि यह किस प्रकार उसकी नियुक्ति की विधि और शर्तों और साथ ही साथ उन अधिकारों के विस्तार से परिलक्षित होती है, जिनका प्रयोग वह कर सकता है। (150 words) [UPSC 2018]
नियंत्रक और महालेखापरीक्षक (सीएजी) की भूमिका और अधिकार
भुमिका: नियंत्रक और महालेखापरीक्षक (सीएजी) भारत में सार्वजनिक वित्त के लेखा-जोखा और ऑडिट के लिए एक अत्यावश्यक भूमिका निभाता है। इसका मुख्य कार्य सरकारी खातों का स्वतंत्र और निष्पक्ष ऑडिट करना है, ताकि सार्वजनिक धन का उचित उपयोग सुनिश्चित किया जा सके।
नियुक्ति की विधि और शर्तें:
अधिकारों का विस्तार:
निष्कर्ष: सीएजी की नियुक्ति की विधि, शर्तें, और अधिकार उसकी अत्यावश्यक भूमिका को बनाए रखने में मदद करते हैं, जो सार्वजनिक वित्त के उचित प्रबंधन और सरकारी पारदर्शिता सुनिश्चित करने के लिए आवश्यक हैं।