नगर निगम प्रमुख के रूप में, आपको एक चुनौतीपूर्ण स्थिति का सामना करना पड़ रहा है जिसमें संबंधित नागरिकों के दो समूहों ने आपसे संपर्क किया है। पहला समूह शहर में आवारा कुत्तों के खतरे के बारे में अपनी निराशा एवं चिंता व्यक्त कर रहा है और दूसरा समूह, इन बेजुबान जानवरों के प्रति करुणा व मानवीय व्यवहार को प्रोत्साहित करने की दिशा में कदम उठाने का आग्रह कर रहा है।पहली याचिका में आवारा कुत्तों द्वारा समाज के सुभेद्य वर्ग, विशेषरूप से बच्चों पर हमला करने या उन्हें जान से मारने की बढ़ती घटनाओं पर प्रकाश डाला गया है। उनका कहना है कि यह स्थिति कुत्तों की अपर्याप्त नसबंदी और टीकाकरण के कारण हुई है। वे सड़क के कुत्तों को तत्काल हटाने और उन्हें अन्यत्र भेजने की मांग कर रहे हैं।हालांकि, दूसरी याचिका में यह कहा गया है कि इस समस्या का मूल कारण अप्रभावी पशु स्वास्थ्य देखभाल और नियंत्रण, अवैध प्रजनन केंद्र, पालतू जानवरों के मालिकों द्वारा उन्हें सड़कों पर छोड़ देना है। उनका तर्क है कि इस स्थिति के लिए ज़िम्मेदार लोगों को सजा मिलनी चाहिए, जानवरों को नहीं।इसके अतिरिक्त, भारत में ऐसे कानून हैं जिसके तहत सड़कों से कुत्ते को हटाना गैर-कानूनी है। इसका मतलब यह है कि यदि कोई कुत्ता सड़क पर रहता है, तो गोद लिए जाने तक सड़क पर रहना उसका “अधिकार” है। जानवरों के जीवन के अधिकार को मानव सुरक्षा संबंधी चिंताओं के साथ संतुलित करना एक कठिन काम सिद्ध हो रहा है।
(a) इस प्रकरण में शामिल नैतिक दुविधाएं कौन-सी हैं?
(b) एक याचिका को दूसरे पर तरजीह देने के निहितार्थों का मूल्यांकन कीजिए।
(c) कौन-सी कार्रवाई से इस स्थिति का तात्कालिक और दीर्घावधि समाधान होगा?
(250 शब्दों में उत्तर दें)
(a) नैतिक दुविधाएं
(b) एक याचिका को दूसरे पर तरजीह देने के निहितार्थ
(c) तात्कालिक और दीर्घकालिक समाधान
इन उपायों से आप तात्कालिक समस्याओं का समाधान कर सकते हैं और साथ ही दीर्घकालिक समाधान भी सुनिश्चित कर सकते हैं, जो दोनों मानव और पशु कल्याण के बीच संतुलन बनाए रखेगा।