गिग अर्थव्यवस्था के उदय से नई पीढ़ी के कर्मचारियों को बहुत लाभ होता है, क्योंकि यह उन्हें कार्य के नए अवसर और आय के अनेक स्रोत प्रदान करती है। यह नए स्नातकों में अधिक प्रचलित है जो छोटे कस्बों और शहरों से आते हैं तथा स्थायी नौकरी मिलने तक गुजारा करने के लिए छोटे-मोटे काम करते हैं। संगठन भी अपने कर्मचारियों को किसी विशिष्ट कौशल सेट के लिए प्रशिक्षित करने के स्थान पर अस्थायी पेशेवरों को चुन रहे हैं। नीति आयोग का अनुमान है कि भारत में 7.7 मिलियन गिग श्रमिक हैं, 2029-30 तक इनकी संख्या बढ़कर 23.5 मिलियन हो सकती है। एक डिलीवरी कंपनी में गिग श्रमिक होने के नाते, राहुल ऑर्डर की संख्या के आधार पर प्रति माह लगभग 30,000 से 40,000 रुपये कमाता है। साथ ही, यह कार्य उसे अपने अनुसार कार्य के दिनों एवं घंटों का चयन करने की सुविधा देता है। हालांकि, उसे दिन में अधिक घंटों तक कार्य करने, नौकरी की सुरक्षा का अभाव, गिग एवं मुख्यधारा की नौकरियों की उपलब्धता में कमी, नियोक्ताओं द्वारा अमानवीय व्यवहार और कानूनी सुरक्षा या अधिकारों की कमी के कारण अभूतपूर्व संघर्ष का सामना करना पड़ता है। लेकिन, वह यह कार्य करने के लिए विवश है, क्योंकि वह 4 सदस्यों वाले अपने परिवार का एकमात्र आय अर्जक सदस्य है। उसके लिए अपनी पहचान का अनुभव करना कठिन हो गया है, क्योंकि प्रायः लोगों के द्वारा पूछे जाने वाले प्रश्न ‘आजीविका के लिए आप क्या करते हैं? का उत्तर देना बहुत मुश्किल होता है। उसके लिए ऋण लेने और कुछ गिरवी रखकर धन उधार लेने जैसी वित्तीय सहायता प्राप्त करना बहुत मुश्किल है, क्योंकि उसके पास दिखाने के लिए कोई स्थिर आय नहीं है और न ही उसके नाम पर कोई व्यवसाय है, बस एक कौशल है जिसका उपयोग समय-समय पर कुछ नियोक्ताओं द्वारा किया जा रहा है। स्वास्थ्य बीमा प्राप्त करना एक अन्य समस्या है क्योंकि कोई भी बीमा कंपनी उसकी नौकरी की प्रकृति के कारण उसे यह लाभ नहीं देती है। संक्षेप में, राहुल और उसके परिवार के पास ‘श्रमिक वर्ग के लिए आरक्षित न्यूनतम सुविधाओं के लिए भी समाज में कोई पहचान नहीं है। उद्यम पूंजीपतियों ने गिग श्रमिकों के साथ दुर्व्यवहार को और भी बढ़ा दिया है, जो अपना धन उन संगठनों में लगाना पसंद करते हैं जो कर्मचारी के प्रति दायित्व से रहित हैं और जिनके पास पूर्णकालिक कार्यबल के प्रबंधन के लिए ओवरहेड व्यय उपलब्ध नहीं हैं, जिससे नियमित नियोक्ताओं के लिए प्रतिस्पर्धा करना कठिन हो गया है।
(a) इस प्रकरण में शामिल नैतिक मुद्दों पर चर्चा कीजिए।
(b) राहुल जैसे गिग श्रमिकों के सामने आने वाली समस्याओं को हल करने के लिए कौन-से उपाय अपनाए जा सकते हैं?
(250 शब्दों में उत्तर दीजिए)
(a) नैतिक मुद्दों की चर्चा
गिग अर्थव्यवस्था के उदय से संबंधित कई नैतिक मुद्दे उभरते हैं:
नौकरी की सुरक्षा का अभाव: गिग श्रमिकों के पास स्थिर रोजगार और नौकरी की सुरक्षा का अभाव होता है। वे अक्सर अस्थायी और असुरक्षित स्थिति में काम करते हैं, जिससे उनके दीर्घकालिक वित्तीय और व्यक्तिगत सुरक्षा पर असर पड़ता है।
अमानवीय व्यवहार: नियोक्ता अक्सर गिग श्रमिकों के साथ अमानवीय व्यवहार कर सकते हैं, जैसे कि अत्यधिक कार्य घंटे, कम वेतन, और बिना उचित कानूनी सुरक्षा के काम लेना। यह नियोक्ता-श्रमिक संबंधों में असंतुलन और शोषण को बढ़ावा देता है।
कानूनी और वित्तीय सुरक्षा की कमी: गिग श्रमिकों को स्वास्थ्य बीमा, पेंशन, और अन्य कानूनी अधिकारों की कमी का सामना करना पड़ता है। उनकी अस्थिर आय के कारण वित्तीय सहायता प्राप्त करने में भी कठिनाई होती है, जो उनके जीवन को और अधिक अस्थिर बनाता है।
सामाजिक पहचान की कमी: गिग श्रमिकों को अक्सर समाज में स्थिर और सम्मानजनक पहचान नहीं मिलती। उन्हें अपने काम के स्वरूप को समझाने में कठिनाई होती है, जिससे सामाजिक स्वीकृति और आत्म-संमान पर असर पड़ता है।
(b) समस्याओं के समाधान के उपाय
कानूनी सुरक्षा और अधिकार:
नियमितीकरण: गिग श्रमिकों के लिए उचित कानूनी ढांचा तैयार किया जाए जो न्यूनतम वेतन, काम के घंटे, और स्वास्थ्य बीमा जैसे अधिकारों की रक्षा करे।
स्वतंत्र श्रमिक कानून: विशेष श्रमिक कानूनों का निर्माण किया जाए जो गिग श्रमिकों की अनोखी परिस्थितियों को ध्यान में रखते हुए उनके अधिकारों की रक्षा करें।
आर्थिक सुरक्षा:
सामाजिक सुरक्षा योजनाएं: गिग श्रमिकों के लिए सामाजिक सुरक्षा योजनाओं और पेंशन योजनाओं की शुरुआत की जाए, ताकि उन्हें दीर्घकालिक वित्तीय सुरक्षा मिल सके।
वित्तीय सहायता और क्रेडिट: गिग श्रमिकों के लिए विशेष वित्तीय उत्पाद और ऋण योजनाएं विकसित की जाएं, जो अस्थिर आय की समस्या को ध्यान में रखें।
स्वास्थ्य और बीमा:
स्वास्थ्य बीमा योजनाएं: गिग श्रमिकों के लिए विशेष स्वास्थ्य बीमा योजनाओं की पेशकश की जाए, जो उनकी विशिष्ट जरूरतों को पूरा करें।
सामाजिक पहचान और समर्थन:
सामाजिक जागरूकता: गिग श्रमिकों के कार्य और योगदान के प्रति समाज में जागरूकता बढ़ाई जाए, ताकि वे सम्मान और पहचान प्राप्त कर सकें।
उत्साहवर्धन: गिग श्रमिकों के लिए प्रोत्साहन और समर्थन कार्यक्रमों की स्थापना की जाए, जो उनके पेशेवर और व्यक्तिगत विकास को प्रोत्साहित करें।
इन उपायों को लागू करने से गिग श्रमिकों की स्थिति में सुधार हो सकता है, जिससे उन्हें अधिक सुरक्षा, सम्मान और आर्थिक स्थिरता प्राप्त होगी।