बूंद-बूंद से घड़ा भरता है। इसी प्रकार, बुद्धिमान व्यक्ति अच्छाई को थोड़ा-थोड़ा आत्मसात करके, स्वयं को इससे परिपूर्ण कर लेता है।” विवेचना कीजिए।(150 शब्दों में उत्तर दीजिए)
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वाक्य “बूंद-बूंद से घड़ा भरता है। इसी प्रकार, बुद्धिमान व्यक्ति अच्छाई को थोड़ा-थोड़ा आत्मसात करके, स्वयं को इससे परिपूर्ण कर लेता है।” एक महत्वपूर्ण जीवन-दर्शन को व्यक्त करता है। यह कहता है कि जैसे घड़ा धीरे-धीरे बूंद-बूंद पानी से भरता है, वैसे ही व्यक्ति की अच्छाई भी धीरे-धीरे समेटी जाती है। इस विचार में एक गहरी सिख है कि बदलाव और सुधार एक बार में बड़े कदमों से नहीं, बल्कि निरंतर छोटे-छोटे प्रयासों से आता है। बुद्धिमान व्यक्ति निरंतर अच्छाई के छोटे-छोटे हिस्से को अपनाता है और उसे अपने जीवन में लागू करता है। यह एक सतत प्रक्रिया है, जिसमें समय और धैर्य की आवश्यकता होती है। छोटे-छोटे प्रयास और आदतें मिलकर व्यक्ति को एक परिपूर्ण और नैतिक जीवन की ओर ले जाती हैं। इस प्रकार, आत्म-विकास और नैतिकता की प्राप्ति में स्थिरता और नियमितता महत्वपूर्ण हैं।