भारत में कृषि मशीनीकरण को बढ़ावा देने के लिए शुरू की गई कृषि मशीनीकरण पर उप-मिशन (SMAM)) योजना के प्रदर्शन का विश्लेषण कीजिए। (250 शब्दों में उत्तर दीजिए)
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भारत में कृषि मशीनीकरण को बढ़ावा देने के लिए कृषि मशीनीकरण पर उप-मिशन (SMAM) योजना की शुरुआत 2014-15 में की गई थी। इसका उद्देश्य छोटे और सीमांत किसानों के लिए मशीनीकरण की पहुँच को बढ़ाना और कृषि उत्पादन में सुधार करना है। इस योजना के तहत विभिन्न कृषि यंत्रों और मशीनों की खरीदारी, वितरण और उपयोग को प्रोत्साहित किया जाता है।
SMAM योजना के प्रदर्शन का विश्लेषण निम्नलिखित बिंदुओं पर आधारित है:
यंत्रों की उपलब्धता और उपयोग: SMAM के अंतर्गत किसानों को सब्सिडी के माध्यम से विभिन्न कृषि यंत्र जैसे ट्रैक्टर, हार्वेस्टर, और अन्य कृषि उपकरण उपलब्ध कराए जाते हैं। योजना की सफलता को देखा जाए तो कई राज्यों में इन यंत्रों की उपलब्धता बढ़ी है, जिससे उत्पादन क्षमता में सुधार हुआ है।
सामर्थ्य निर्माण और प्रशिक्षण: योजना के तहत किसानों को मशीनों के उपयोग और मरम्मत के लिए प्रशिक्षण प्रदान किया जाता है। इससे किसानों की तकनीकी दक्षता में वृद्धि हुई है और वे अधिक प्रभावी ढंग से मशीनों का उपयोग कर पा रहे हैं।
छोटे और सीमांत किसानों का लाभ: SMAM योजना का विशेष ध्यान छोटे और सीमांत किसानों पर है। सब्सिडी और वित्तीय सहायता के माध्यम से उन्हें भी आधुनिक कृषि उपकरण मिल सके हैं, जिससे उनकी उत्पादन क्षमता में सुधार हुआ है।
योजना के चुनौतियाँ: योजना के प्रदर्शन में कुछ चुनौतियाँ भी आई हैं। इनमे से प्रमुख हैं मशीनों की रखरखाव की कमी, ग्रामीण क्षेत्रों में तकनीकी सहायता की कमी, और सब्सिडी के वितरण में भ्रष्टाचार। इन समस्याओं ने योजना की प्रभावशीलता को कुछ हद तक प्रभावित किया है।
प्रभाव और परिणाम: कुल मिलाकर, SMAM योजना ने भारतीय कृषि में मशीनीकरण की दिशा में महत्वपूर्ण कदम उठाए हैं। इसके कारण कृषि उत्पादकता में सुधार हुआ है और खेती की प्रक्रिया में दक्षता बढ़ी है। हालांकि, योजना के पूर्ण लाभ को प्राप्त करने के लिए अभी भी कुछ सुधार और चुनौतियों का समाधान आवश्यक है।
संक्षेप में, SMAM योजना ने कृषि मशीनीकरण में महत्वपूर्ण योगदान दिया है, लेकिन इसके प्रभावी कार्यान्वयन के लिए सुधार और निगरानी की आवश्यकता है।