पूंजीवादी बाजार में, व्यवसाय का लक्ष्य मांग को पूरा करने के लिए उत्पाद बेचना होता है। इस संदर्भ में, कंपनी का उद्देश्य अधिकतम लाभ अर्जित करना होता है। हालांकि, ऐसे उद्योग भी हैं जहाँ लाभ से पहले सामाजिक भलाई को प्राथमिकता दी जानी चाहिए और दवा उद्योग ऐसे उद्योग का एक उदाहरण है।हाल ही में, एक दवा कंपनी द्वारा मनमाना मूल्य निर्धारित करने की घटना सामने आई है। कई वर्षों के शोध के बाद, संबंधित कंपनी ने एक दुर्लभ बीमारी के इलाज के लिए एक दवा विकसित की है। इसके पास दवा का पेटेंट है और इसने दवा के उत्पादन के लिए अनुसंधान एवं विकास पर अत्यधिक संसाधन खर्च किए हैं। लेकिन दवा के लिए उसने जो उच्च मूल्य निर्धारित किया है, उसने न केवल दुर्लभ बीमारी से पीड़ित मरीजों की उम्मीदों पर पानी फेर दिया है, बल्कि जनता की अंतरात्मा को भी झकझोर दिया है। हालांकि, कुछ लोग यह भी तर्क दे रहे हैं कि कंपनी को दवा की कीमत घटाने के लिए मजबूर करने से दवा कंपनियां भविष्य में दुर्लभ बीमारियों के लिए अनुसंधान करने और उनका उपचार तैयार करने से हतोत्साहित होंगी।
इस संदर्भ में, निम्नलिखित के उत्तर दीजिए:
(a) उपर्युक्त स्थिति में शामिल विभिन्न मुद्दे क्या हैं?
(b) क्या आपको लगता है कि मूल्य-सीमा का निर्धारण दी गई समस्या का समाधान एक दूसरी समस्या उत्पन्न करके करेगी?
(c) ऐसे मामलों में उत्पन्न होने वाले मुद्दों से निपटने के लिए कौन-से दीर्घकालिक उपाय किए जा सकते हैं?
(250 शब्दों में उत्तर दीजिए)
(a) विभिन्न मुद्दे
(b) मूल्य-सीमा निर्धारण के निहितार्थ
गुण:
दोष:
(c) दीर्घकालिक उपाय
इन उपायों से दवा के मूल्य निर्धारण और नवाचार के बीच संतुलन बना सकते हैं, और स्वास्थ्य सेवाओं की व्यापकता और गुणवत्ता में सुधार कर सकते हैं।