जवाहरलाल नेहरू पत्तन (JNP) भारत का पहला 100% लैंडलॉर्ड पोर्ट बन गया है। लैंडलॉर्ड पोर्ट मॉडल से आप क्या समझते हैं? पत्तनों के प्रबंधन में प्रयुक्त विभित्र मॉडल कौन-से हैं? (250 शब्दों में उत्तर दीजिए)
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लैंडलॉर्ड पोर्ट मॉडल एक प्रमुख पत्तन प्रबंधन दृष्टिकोण है जिसमें पत्तन प्राधिकरण का मुख्य कार्य भूमि का मालिक रहना और अवसंरचना प्रदान करना होता है, जबकि पत्तन के संचालन और संचालन की जिम्मेदारी निजी कंपनियों पर होती है। इस मॉडल के तहत, पत्तन प्राधिकरण पत्तन क्षेत्र में भूमि, गोदाम, और बुनियादी ढाँचे की सुविधा प्रदान करता है, जबकि निजी क्षेत्र के खिलाड़ी इन सुविधाओं का उपयोग करके कार्गो हैंडलिंग, लोडिंग और अनलोडिंग, और अन्य ऑपरेशनल कार्यों को अंजाम देते हैं।
लैंडलॉर्ड पोर्ट मॉडल की विशेषताएँ:
भूमि स्वामित्व: पत्तन प्राधिकरण भूमि का स्वामित्व बनाए रखता है और इसे विभिन्न निजी ऑपरेटरों को लीज पर देता है।
सुविधाएँ और अवसंरचना: प्राधिकरण पोर्ट की आधारभूत सुविधाओं और अवसंरचना जैसे डॉक, पुल, और वेयरहाउस प्रदान करता है।
निजी ऑपरेटर: निजी कंपनियाँ पत्तन संचालन, कार्गो हैंडलिंग, और संबंधित सेवाओं का प्रबंधन करती हैं।
पत्तनों के प्रबंधन में प्रयुक्त विभित्र मॉडल:
लैंडलॉर्ड मॉडल: जैसा कि उपर्युक्त वर्णित है, इसमें पत्तन प्राधिकरण भूमि का स्वामित्व रखता है और अवसंरचना प्रदान करता है, जबकि संचालन निजी कंपनियों द्वारा किया जाता है।
वेस्टर्न मॉडल: इसमें पत्तन प्राधिकरण और संचालन दोनों का नियंत्रण निजी कंपनियों के हाथ में होता है। निजी कंपनियाँ पूरे पत्तन का प्रबंधन करती हैं, जिसमें भूमि, अवसंरचना और संचालन शामिल हैं।
पब्लिक-प्राइवेट पार्टनरशिप (PPP) मॉडल: इस मॉडल में पत्तन प्राधिकरण और निजी कंपनियाँ मिलकर पत्तन के विभिन्न हिस्सों का प्रबंधन करती हैं। इसमें निवेश, संचालन, और जोखिम को साझा किया जाता है।
पब्लिक पोर्ट मॉडल: इसमें पत्तन प्राधिकरण पूरी तरह से पत्तन के संचालन और प्रबंधन का जिम्मा लेता है। यह मॉडल सरकारी नियंत्रण के तहत काम करता है और निजी क्षेत्र की भागीदारी सीमित होती है।
जवाहरलाल नेहरू पत्तन (JNP) के 100% लैंडलॉर्ड पोर्ट बनने का मतलब है कि इस पत्तन में भूमि का स्वामित्व और अवसंरचना प्रबंधन पत्तन प्राधिकरण के हाथ में रहेगा, जबकि संचालन और कार्गो हैंडलिंग जैसी गतिविधियाँ निजी कंपनियों द्वारा की जाएंगी। यह मॉडल पत्तन के विकास और कार्यक्षमता को सुधारने के लिए एक महत्वपूर्ण कदम है, जो कि दक्षता, प्रतिस्पर्धा और निवेश को प्रोत्साहित करता है।