विसर्प की अवधारणा की व्याख्या करते हुए, बाढ़ के मैदानों से जुड़ी विभिन्न भू-आकृतियों को वर्णित कीजिए। (150 शब्दों में उत्तर दीजिए)
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**विसर्प (Meandering)** की अवधारणा नदी के बहाव में होने वाली वक्रता को दर्शाती है, जिसमें नदी का मार्ग लहरदार और घुमावदार बन जाता है। यह प्रक्रिया तब होती है जब नदी का प्रवाह धीमा हो जाता है और उसकी धारा धीरे-धीरे अपने मार्ग को मोड़ती है।
**बाढ़ के मैदानों** में विसर्प से जुड़ी प्रमुख भू-आकृतियाँ निम्नलिखित हैं:
1. **मेन्डर**: नदी के प्रवाह द्वारा बनते कर्व या मोड़, जो एक सर्पिल पैटर्न बनाते हैं।
2. **ऑक्सबो झीलें**: जब दो मेन्डर मिलकर एक दूसरे को काटते हैं, तो बीच में एक बंद चैनल के रूप में झील बनती है।
3. **बाढ़ के मैदान**: ये निम्न क्षेत्र होते हैं जहां नदी के पानी का फैलाव होता है, जिससे उपजाऊ मिट्टी जमा होती है।
4. **पारत**: नदी के एक ओर जमा होने वाली परतदार मृदा जो नदी के बहाव की दिशा के अनुसार बदलती है।
ये आकृतियाँ नदी की गतिशीलता और उसके परिवेश को दर्शाती हैं, और प्राकृतिक पारिस्थितिकी के लिए महत्वपूर्ण होती हैं।
विसर्प (Meandering) एक नदी की प्रवृत्ति को दर्शाता है जिसमें नदी के प्रवाह की दिशा लगातार बदलती रहती है, जिससे नदी की धारा में जिग-जैग मोड़ बनते हैं। यह प्रक्रिया बाढ़ के मैदानों में सामान्य रूप से देखी जाती है, जहाँ नदी अपने द्वारा छोड़े गए अवसादों पर निर्भर करती है और चपटी भूमि पर बहती है।
बाढ़ के मैदानों से जुड़ी विभिन्न भू-आकृतियाँ निम्नलिखित हैं:
स्लीक: बाढ़ के मैदानों में नदी द्वारा छोड़े गए नर्म अवसाद से निर्मित यह वाणिज्यिक क्षेत्र होते हैं। ये समतल और उपजाऊ होते हैं।
लूप्स: नदी के चक्रीय मोड़, जो विसर्प के कारण बनते हैं। समय के साथ, ये मोड़ बड़ा होकर अलग-थलग जलाशयों में बदल सकते हैं।
ऑक्सबो: पुराने लूप्स या मोड़ों की प्रक्रिया से बनते हैं, जब एक लूप भर जाता है और नदी एक सीधी धारा बनाती है, जिससे पुराना लूप बंद हो जाता है।
फ्लडप्लेन: नदी की नियमित बाढ़ से बनने वाला समतल क्षेत्र, जहाँ अवसाद जमा होते हैं और उपजाऊ मिट्टी का निर्माण होता है।
ये भू-आकृतियाँ नदी के विसर्प की प्रक्रिया के परिणामस्वरूप उत्पन्न होती हैं और बाढ़ के मैदानों की अद्वितीय विशेषताओं को दर्शाती हैं।