19वीं सदी के भारतीय पुनरुद्धार आंदोलन ने भारत के विकास में किस प्रकार सहयोग दिया? वर्णन कीजिये। (200 Words) [UPPSC 2021]
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19वीं सदी का भारतीय पुनरुद्धार आंदोलन भारतीय समाज में एक महत्वपूर्ण परिवर्तनकारी प्रक्रिया थी, जिसने समाज के विभिन्न पहलुओं को गहराई से प्रभावित किया। इस आंदोलन ने भारतीय समाज को आधुनिकता की ओर अग्रसर किया और सांस्कृतिक, धार्मिक, और सामाजिक बदलावों की दिशा में महत्वपूर्ण योगदान दिया।
इस आंदोलन के तहत, धार्मिक सुधारक जैसे राममोहन राय, ईश्वर चंद्र विद्यासागर, स्वामी दयानंद सरस्वती, और स्वामी विवेकानंद ने पुरानी परंपराओं और जातिवाद के खिलाफ आवाज उठाई। उन्होंने शिक्षा, महिलाओं के अधिकार, और सामाजिक समानता पर जोर दिया। राममोहन राय ने ब्रह्म समाज की स्थापना की, जो अंधविश्वास और जातिवाद के खिलाफ था और धार्मिक एकता को प्रोत्साहित करता था। विद्यासागर ने महिला शिक्षा को बढ़ावा दिया और विधवा पुनर्विवाह को मान्यता दी।
स्वामी दयानंद सरस्वती ने आर्य समाज की स्थापना की, जिसने वेदों के प्रति निष्ठा को पुनर्जीवित किया और अंधविश्वास और जातिवाद के खिलाफ संघर्ष किया। स्वामी विवेकानंद ने भारतीय संस्कृति और धर्म को पश्चिमी दुनिया में प्रस्तुत किया और भारतीय युवाओं को आत्म-संवर्धन की प्रेरणा दी।
इन प्रयासों ने भारतीय समाज को आत्म-निरीक्षण, सामाजिक सुधार, और सांस्कृतिक पुनर्निर्माण की दिशा में प्रेरित किया, जिससे भारतीय समाज में एक नई चेतना और प्रगतिशीलता का उदय हुआ। इस प्रकार, 19वीं सदी का पुनरुद्धार आंदोलन भारतीय समाज के समग्र विकास में एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाने में सफल रहा।