भारतीय गणराज्य ने सारनाथ स्थित सम्राट अशोक के सिंह शीर्ष को अपने राष्ट्रीय प्रतीक के रूप में चुना, ताकि वैसी ही सद्भावना को प्रतिबिंबित किया जा सके जैसी सम्राट अशोक द्वारा हासिल की गई थी और आधुनिक भारतीय राष्ट्र के लोगों के लिए उनके द्वारा लागू की गई मानवीय नीतियों की निरंतरता बनी रहे। इस पृष्ठभूमि में, उन नैतिक शिक्षाओं पर चर्चा कीजिए जो सम्राट अशोक के जीवन में प्रतिलक्षित होती हैं। (150 शब्दों में उत्तर दें)
सम्राट अशोक के जीवन में प्रतिलक्षित नैतिक शिक्षाएँ उनके शासन की मानवता और शांति की दिशा को स्पष्ट रूप से दर्शाती हैं।
1. अहिंसा और शांति: अशोक ने कलिंग युद्ध के बाद अहिंसा की नीति अपनाई, जो युद्ध और हिंसा के स्थान पर शांति और सहिष्णुता को प्रोत्साहित करती थी। उन्होंने अहिंसा के सिद्धांत को अपने शासन की आधारशिला बनाया।
2. सामाजिक कल्याण: अशोक ने अस्पताल, सड़कें और जलाशय बनवाए, और गरीबों तथा बीमारों की देखभाल के लिए पहल की।
3. धार्मिक सहिष्णुता: उन्होंने विभिन्न धर्मों और संस्कृतियों के प्रति सम्मान और सहिष्णुता को बढ़ावा दिया, जिससे विविधता में एकता का संदेश फैलाया।
4. नैतिक शासन: अशोक के शिलालेखों में न्याय, सत्य, और दया की बातें थीं, जो उनके शासन के नैतिक और मानवतावादी दृष्टिकोण को दर्शाती हैं।
इन शिक्षाओं के माध्यम से अशोक ने एक उदार और न्यायपूर्ण शासन की नींव रखी, जो आज भी भारतीय राष्ट्र के मूल्यों में प्रतिबिंबित होती है।