भारत का पंथनिरपेक्ष दृष्टिकोण ‘सैद्धांतिक दूरी’ बनाए हुआ है न कि ‘समान दूरी’। टिप्पणी कीजिए।(150 शब्दों में उत्तर दें)
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भारत का पंथनिरपेक्ष दृष्टिकोण ‘सैद्धांतिक दूरी’ बनाए हुए है, न कि ‘समान दूरी’। इसका मतलब है कि भारत का पंथनिरपेक्षता किसी भी धार्मिक समूह के प्रति एक निष्पक्ष और समान रवैया अपनाने के बजाय, धार्मिक मामलों में ‘सैद्धांतिक दूरी’ बनाए रखता है। यह दृष्टिकोण धार्मिक तटस्थता का संकेत देता है, जिसमें राज्य धार्मिक मामलों से सीधे तौर पर नहीं जुड़ता, लेकिन कुछ धार्मिक समूहों के प्रति विशेष ध्यान या समर्थन भी हो सकता है।
इस प्रकार, ‘सैद्धांतिक दूरी’ का मतलब है कि सरकार और अन्य संस्थान धार्मिक मामलों में हस्तक्षेप नहीं करेंगे, लेकिन यह जरूरी नहीं कि सभी धार्मिक समूहों के साथ समान दूरी बनाए रखी जाए। इससे पंथनिरपेक्षता के आदर्शों और व्यावहारिक कार्यान्वयन में असमानता का अनुभव हो सकता है, जो समाज में धार्मिक तटस्थता की परिभाषा और उसकी प्रभावशीलता पर सवाल उठाता है।