बाह्य दबाव और औपनिवेशिक विरोध के साथ-साथ घेरलू दबाव ने यूरोपीय शक्तियों को उपनिवेशों पर अपना दावा छोड़ने के लिए विवश किया। सविस्तार वर्णन कीजिए।(150 शब्दों में उत्तर दें)
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रोपीय शक्तियों को उपनिवेशों पर अपना दावा छोड़ने के लिए बाह्य, औपनिवेशिक विरोध और घरेलू दबाव ने महत्वपूर्ण भूमिका निभाई।
बाह्य दबाव: द्वितीय विश्व युद्ध के बाद संयुक्त राज्य अमेरिका और सोवियत संघ ने उपनिवेशवाद का विरोध किया और औपनिवेशिक देशों की स्वतंत्रता का समर्थन किया। संयुक्त राष्ट्र ने भी उपनिवेशवाद को समाप्त करने का समर्थन किया, जिससे वैश्विक दबाव बढ़ा।
औपनिवेशिक विरोध: उपनिवेशों में स्वतंत्रता आंदोलन तेजी से बढ़े। भारत, अल्जीरिया, इंडोनेशिया जैसे देशों में हुए आंदोलनों ने यूरोपीय शक्तियों के लिए उपनिवेशों को बनाए रखना कठिन कर दिया। इन आंदोलनों ने राजनीतिक और सशस्त्र संघर्ष के माध्यम से औपनिवेशिक शासन को चुनौती दी।
घरेलू दबाव: यूरोप के भीतर युद्धोत्तर आर्थिक कठिनाइयों और युद्ध के बाद की पुनर्निर्माण की जरूरतों ने उपनिवेशों को बनाए रखने की लागत को बढ़ा दिया। जनता और राजनीतिक नेताओं के बीच उपनिवेशों को छोड़ने की मांग बढ़ी, क्योंकि उनका प्रबंधन अब लाभकारी नहीं रहा था।
इन तीनों दबावों ने मिलकर यूरोपीय शक्तियों को विवश किया कि वे अपने उपनिवेशों पर दावा छोड़ दें और उन्हें स्वतंत्रता प्रदान करें।