भारतीय स्वतंत्रता संघर्ष के दौरान रवींद्रनाथ टैगोर के राष्ट्रवाद संबंधी दृष्टिकोण में अंतर्निहित प्रमुख सिद्धांतों को वर्णित कीजिए।(150 शब्दों में उत्तर दें)
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रवींद्रनाथ टैगोर के राष्ट्रवाद संबंधी दृष्टिकोण में मानवता और सार्वभौमिकता के सिद्धांत प्रमुख थे। उन्होंने राष्ट्रवाद को संकीर्ण, विभाजनकारी और आक्रामक विचारधारा के रूप में देखा, जो मानवता के व्यापक हितों के खिलाफ हो सकता था। टैगोर ने माना कि राष्ट्रवाद के नाम पर अतिवादी विचारधाराएं और हिंसा समाज में विभाजन पैदा करती हैं और स्वतंत्रता के सच्चे अर्थ को बाधित करती हैं।
टैगोर का मानना था कि राष्ट्र की सच्ची शक्ति उसकी सांस्कृतिक धरोहर, आध्यात्मिकता और मानवीय मूल्यों में निहित होती है, न कि सैन्य या आर्थिक शक्ति में। उन्होंने स्वतंत्रता आंदोलन का समर्थन किया, लेकिन साथ ही चेतावनी दी कि राष्ट्रीयता की अतिरंजना से बचना चाहिए।
उनके अनुसार, राष्ट्रवाद को मानवता की सेवा में होना चाहिए, न कि अन्य राष्ट्रों के खिलाफ। टैगोर ने भारतीय समाज में आपसी सहयोग, सांस्कृतिक एकता और मानवता के प्रति संवेदनशीलता को प्राथमिकता दी, जो उनके राष्ट्रवाद संबंधी दृष्टिकोण की मूल भावना थी।