स्कूली शिक्षा के महत्त्व के बारे में जागरूकता उत्पन्न किए बिना, बच्चों की शिक्षा में प्रेरणा-आधारित पद्धति के संवर्धन में निःशुल्क और अनिवार्य बाल शिक्षा का अधिकार अधिनियम, 2009 अपर्याप्त है। विश्लेषण कीजिए। (250 words) [UPSC 2022]
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अधिनियम 2009 का विश्लेषण: निःशुल्क और अनिवार्य बाल शिक्षा का अधिकार और प्रेरणा-आधारित पद्धति
1. अधिनियम का अवलोकन
निःशुल्क और अनिवार्य बाल शिक्षा का अधिकार अधिनियम (RTE), 2009, 6 से 14 वर्ष की आयु के बच्चों को निःशुल्क और अनिवार्य शिक्षा प्रदान करने का कानूनी अधिकार देता है। यह अधिनियम शिक्षा की उपलब्धता को सुनिश्चित करने और प्रवेश में बाधाओं को दूर करने का प्रयास करता है।
2. प्रेरणा-आधारित पद्धति में कमी
प्रेरणा के लिए सीमित प्रोत्साहन: RTE अधिनियम में शिक्षा के लिए प्रोत्साहन प्रदान करने के लिए सीमित उपाय शामिल हैं। यद्यपि स्कॉलरशिप, मध्याह्न भोजन, और यूनिफॉर्म जैसी सुविधाएँ प्रदान की जाती हैं, लेकिन ये प्रोत्साहन सभी बाधाओं को संबोधित करने में सक्षम नहीं होते, विशेषकर आर्थिक रूप से कमजोर परिवारों में।
जागरूकता की कमी: अधिनियम में स्कूली शिक्षा के महत्व के बारे में व्यापक जागरूकता अभियान की आवश्यकता नहीं है। यदि माता-पिता और समुदायों को शिक्षा के महत्व की पूरी जानकारी नहीं होती, तो भी बच्चे स्कूल से बाहर रह सकते हैं, खासकर उन क्षेत्रों में जहां शिक्षा के प्रति संवेदनशीलता कम है।
3. कार्यान्वयन की चुनौतियाँ
बुनियादी ढांचे की कमी: अधिनियम के तहत स्कूलों की सुविधाओं और प्रशिक्षित शिक्षकों की कमी जैसी समस्याएँ हैं। इस कमी से शिक्षा की गुणवत्ता प्रभावित होती है, जो माता-पिता को बच्चों को स्कूल भेजने में संकोचित कर सकती है।
स्थानीय कार्यान्वयन में अंतर: राज्य स्तर पर अधिनियम के कार्यान्वयन में भिन्नता और देरी से अधिनियम की प्रभावशीलता में बाधा आती है, जैसे कि अवसंरचना विकास और शिक्षक भर्ती में देरी।
4. हालिया प्रयास और सुझाव
समग्र दृष्टिकोण: हाल के प्रयास जैसे कि बेटी बचाओ बेटी पढ़ाओ (BBBP) और प्रधान मंत्री मातृ वंदना योजना (PMMVY) इन बाधाओं को दूर करने के लिए किए जा रहे हैं। इन पहलों को RTE के साथ जोड़ने से शिक्षा नीतियों की प्रभावशीलता बढ़ सकती है।
समुदाय की भागीदारी: शिक्षा के महत्व के प्रति जागरूकता बढ़ाने के लिए स्थानीय समुदायों और गैर-सरकारी संगठनों के साथ साझेदारी की जा सकती है। यह स्कूल में भागीदारी को प्रोत्साहित करने में मदद कर सकता है।
निष्कर्ष
RTE अधिनियम 2009 ने सार्वभौम शिक्षा की दिशा में महत्वपूर्ण कदम उठाए हैं, लेकिन प्रेरणा-आधारित पद्धति और जागरूकता की कमी के कारण इसकी प्रभावशीलता सीमित है। बुनियादी ढांचे में सुधार, संसाधनों का बेहतर वितरण, और समुदाय की भागीदारी से अधिनियम की सफलता को बढ़ाया जा सकता है, जिससे अधिक बच्चे गुणवत्तापूर्ण शिक्षा का लाभ उठा सकें।