लोक प्रतिनिधित्व अधिनियम, 1951 के अन्तर्गत संसद अथवा राज्य विधायिका के सदस्यों के चुनाव से उभरे विवादों के निर्णय की प्रक्रिया का विवेचन कीजिए। किन आधारों पर किसी निर्वाचित घोषित प्रत्याशी के निर्वाचन को शून्य घोषित किया जा सकता है ? इस निर्णय के विरुद्ध पीड़ित पक्ष को कौन-सा उपचार उपलब्ध है ? वाद विधियों का सन्दर्भ दीजिए। (250 words) [UPSC 2022]
लोक प्रतिनिधित्व अधिनियम, 1951 के अंतर्गत संसद और राज्य विधायिका के सदस्यों के चुनाव से उभरे विवादों का निवारण निम्नलिखित प्रक्रिया के माध्यम से किया जाता है:
निर्णय की प्रक्रिया:
निर्वाचन को शून्य घोषित करने के आधार:
उपचार: पीड़ित पक्ष उच्च न्यायालय के निर्णय के खिलाफ सर्वोच्च न्यायालय में अपील कर सकता है। सर्वोच्च न्यायालय का निर्णय अंतिम होता है और इसके खिलाफ कोई अपील नहीं की जा सकती।
इस प्रकार, लोक प्रतिनिधित्व अधिनियम, 1951 एक सुव्यवस्थित प्रक्रिया प्रदान करता है, जो सुनिश्चित करती है कि चुनाव विवादों का समाधान कानूनी और पारदर्शी तरीके से हो।